भाग १६—कतिपय वर्गों से सम्बद्ध विशेष उपबन्ध
अनु॰ ३३६—३३८
कतिपय सेवाओं में
आंग्ल-भारतीय
समुदाय के लिये
विशेष उपबन्ध[१]३३६. (१) इस संविधान के प्रारम्भ के पश्चात् प्रथम दो वर्षों में संघ की रेल, सीमाशुल्क, डाक तथा तार सम्बन्धी सेवाओं के पदों के लिये आंग्ल-भारतीय समुदाय के जनों की नियुक्तियां १५ अगस्त १९४७ ई॰ के तुरन्त पूर्व वाले आधार पर की जायेंगी।
प्रत्येक अनुवर्ती दो वर्षों की कालावधि में उक्त समुदाय के जनों के लिये, उक्त सेवाओं में, रक्षित पदों की संख्या निकट पूर्ववर्ती दो वर्षों की कालावधि में इस प्रकार रक्षित संख्या से यथासम्भव दस प्रतिशत कम होगी :
परन्तु इस संविधान के प्रारम्भ से दस वर्ष के अन्त में ऐसे सब रक्षणों का अन्त हो जाएगा।
(२) यदि आंग्ल-भारतीय समुदाय के जन अन्य समुदायों के जनों की तुलना में कुशलता के कारण नियुक्ति के लिये अर्ह पाये जायें तो खंड (१) के अधीन उस समुदाय के लिये रक्षित पदों से अन्य, अथवा उन से अधिक, पदों पर आंग्ल-भारतीय समुदाय के जनों की नियुक्ति में उस खंड की किसी बात से रुकावट न होगी।
आंग्ल-भारतीय
समुदाय के फायदे
के लिये शिक्षण
अनुदान के लिये
विशेष उपबन्ध[१]३३७. इस संविधान के प्रारम्भ के पश्चात् पहिले तीन वित्तीय वर्षों में आंग्ल-भारतीय समुदाय के फायदे के लिये शिक्षा के सम्बन्ध में यदि कोई अनुदान रहे हों तो वही अनुदान संघ तथा [२]* * * प्रत्येक राज्य द्वारा दिये जायेंगे जो ३१ मार्च, १९४८ ई॰ को अन्त होने वाले वित्तीय वर्ष में दिये गये थे।
प्रत्येक अनुवर्ती तीन वर्ष की कालावधि में, अनुदान निकट पूर्ववर्ती तीन वर्ष की कालावधि की अपेक्षा दस प्रतिशत कम किये जा सकेंगे :
परन्तु इस संविधान के प्रारम्भ से दस वर्ष के अन्त में ऐसे अनुदान, जिस मात्रा तक वे आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिये विशेष रियायत हैं, उस मात्रा तक अन्त हो जायेंगे :
परन्तु यह और भी कि इस अनुच्छेद के अनुसार किसी शिक्षासंस्था को अनुदान पाने का तब तक हक्क न होगा जब तक कि उसके वार्षिक प्रवेशों में कम से कम चालीस प्रतिशत प्रवेश आंग्ल-भारतीय समुदाय से भिन्न दूसरे समुदायों के जनों के लिये प्राप्य न किये गये हों।
अनुसूचित जातियों
अनुसूचित आदिम-
जातियों इत्यादि के
लिये विशेष
पदाधिकारी३३८. (१) अनुसूचित जातियों और अनुसूचित आदिमजातियों के लिये एक विशेष पदाधिकारी होगा जिसे राष्ट्रपति नियुक्त करेगा
(२) अनुसूचित जातियों और अनुसूचित आदिमजातियों के लिये इस संविधान के अधीन उपबन्धित परित्राणों से सम्बद्ध सब विषयों का अनुसंधान करना तथा उन परित्राणों पर कार्य होने के सम्बन्ध में ऐसी अन्तराविधियों में, जैसी कि राष्ट्रपति निर्दिष्ट करे, राष्ट्रपति को प्रतिवेदन देना विशेष पदाधिकारी का कर्तव्य होगा तथा राष्ट्रपति ऐसे सब प्रतिवेदनों को संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवायेगा।
- ↑ १.० १.१ अनुच्छेद ३३६ और अनुच्छेद ३३७ जम्मू और काश्मीर राज्य को लागू न होंगे।,
- ↑ "प्रथम अनुसूची के भाग (क) या भाग (ख) में उल्लिखित" शब्द और अक्षर संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।