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भाग १७[१]
राजभाषा
अध्याय १.––संघ की भाषा

३४३. (१) संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लियेसंघ की राजभाषा प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अन्तर्राष्ट्रीय रूप होगा।

(२) खंड (१) में किसी बात के होते हुए भी इस संविधान के प्रारम्भ से पन्द्रह वर्ष की कालावधि के लिये संघ के उन सब राजकीय प्रयोजनों के लिये अंग्रेजी भाषा प्रयोग की जाती रहेगी जिनके लिये ऐसे प्रारम्भ के ठीक पहिले वह प्रयोग की जाती थी :

परन्तु राष्ट्रपति उक्त कालावधि में, आदेश द्वारा, संघ के राजकीय प्रयोजनों में से किसी के लिये अंग्रेजी भाषा के साथ साथ हिन्दी भाषा का तथा भारतीय अंकों के अन्तर्राष्ट्रीय रूप के साथ साथ देवनागरी रूप का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा।

(३) इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी संसद् उक्त पन्द्रह साल की कालावधि के पश्चात् विधि द्वारा––

(क) अंग्रेजी भाषा का, अथवा
(ख) अंकों के देवनागरी रूप का,

ऐसे प्रयोजनों के लिये प्रयोग उपबन्धित कर सकेगी जैसे कि ऐसी विधि में उल्लिखित हों।

३४४. (१) राष्ट्रपति, इस संविधान के प्रारम्भ से पांच वर्ष की समाप्ति पर तथा तत्पश्चात् राजभाषा के लिये
आयोग और संसद
की समिति
ऐसे प्रारम्भ से दस वर्ष की समाप्ति पर, आदेश द्वारा एक आयोग गठित करेगा जो एक सभापति और अष्टम अनुसूची में उल्लिखित भिन्न भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ऐसे अन्य सदस्यों से मिल कर बनेगा जैसे कि राष्ट्रपति नियुक्त करे, तथा आयोग द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया भी आदेश परिभाषित करेगा।

(२) राष्ट्रपति को––

(क) संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिये हिन्दी भाषा के उत्तरोत्तर अधिक प्रयोग के;
(ख) संघ के राजकीय प्रयोजनों में से सब या किसी के लिये अंग्रेजी भाषा के प्रयोग पर निबंधनों के,
(ग) अनुच्छेद ३४८ में वर्णित प्रयोजनों में से सब या किसी के लिये प्रयोग की जाने वाली भाषा के,
  1. इस भाग के उपबन्ध जम्मू और कश्मीर राज्य को केवल वहीं तक लागू होंगे जहां तक कि वे––
    (१) संघ की राजभाषा,
    (२) एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच अथवा किसी राज्य और संघ के बीच संचार की राजभाषा, और
    (३) उच्चतम न्यायालय में कार्यवाहियों की भाषा,
    से सम्बन्धित है।