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भारत का संविधान


भाग १९—प्रकीर्ण—अनु॰ ३६२—३६४

देशी राज्यों
के शासकों के
अधिकार और
विशेषाधिकार
[१]३६२. संसद् 'की या किसी' राज्य के विधान-मंडल की विधि बनाने की शक्ति के प्रयोग में, अथवा संघ या किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति के प्रयोग में, देशी राज्य के शासक के वैयक्तिक अधिकारी, विशेषाधिकारों और गरिमा के विषय में ऐसी प्रसंविदा या करार के अधीन, जैसा कि अनुच्छेद २९१ [२]* * * में निदिष्ट है दी गयी प्रत्याभूति या आश्वासन का सम्यक‍्ध्यान रखा जायेगा।

कतिपय सन्धियों
करारों इत्यादि से
उद्भूत विवादों में
न्यायालयों द्वारा
हस्तक्षेप का वर्जन
३६३. (१) इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी किन्तु अनुच्छेद १४३ के उपबन्धों के अधीन रहते हुए न तो उच्चतमन्यायालय और न किसी अन्य न्यायालय का किसी सन्धि, करार, प्रसंविदा, बचन-बन्ध, सनद अथवा ऐसी ही किसी अन्य लिखत से, जो इन संविधान के प्रारम्भ से पहिले किसी देशी राज्य के शासक द्वारा की गई या निष्पादित की गयी थी तथा जिस में भारत डोमीनियन की सरकार या इसकी पूर्वाधिकारी कोई भी सरकार एक पक्ष थी तथा जो ऐसे प्रारम्भ के पश्चात प्रवर्तन में है या बनी रही है, उद्भूत किसी विवाद में अथवा ऐसी संधि, करार, प्रसविदा, वचन-बन्ध, सनद अथवा ऐसी ही किसी अन्य लिखत से सम्बद्ध इस संविधान के उपबन्धों में से किसी से प्रोद्भूत किसी अधिकार, या उद्भूत किसी दायित्व या आभार के विषय में किसी विवाद में क्षेत्राधिकार होगा।

(२) इस अनुच्छेद में—

(क) "देशी राज्य" से अभिप्रेत है कोई राज्य-क्षेत्र जो सम्राट या भारत डोमीनियन की सरकार द्वारा, इस संविधान के प्रारम्भ से पहिले ऐसा राज्य अभिज्ञात था; तथा
(ख) "शासक" के अन्तर्गत है, राजा, प्रमुख या अन्य कोई व्यक्ति जो सम्राट या भारत डोमीनियन की सरकार द्वारा ऐसे प्रारम्भ से पहिले किसी देशी राज्य का शासक अभिज्ञात था।

महापत्तनों और
विमान क्षेत्रों के
लिये विशेष
उपबन्ध
३६४. (१) इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी राष्ट्रपति लोक अधिसूचना द्वारा निदेश दे सकेगा कि ऐसी तारीख से लेकर जैसी कि अधिसूचना में उल्लिखित हो—

(क) संसद् या राज्य के विधान-मंडल द्वारा निर्मित कोई विधि किसी महापत्तन या विमान-क्षेत्र को लागू न होगी अथवा ऐसे अपवादों या रूपभेदों के अधीन रह कर, जैसे कि लोक-अधिसूचना में उल्लिखित हों, लागू होगी; अथवा
(ख) कोई वर्तमान विधि किमी महापत्तन या विमान-क्षेत्र में उक्त तारीख में पहिले की हुई या किये जाने से छोड़ दी गयी बातों के सम्बन्ध से अतिरिक्त अन्य बातों के लिये प्रभावी न होगी, अथवा ऐसे पत्तन या विमान-क्षेत्र में से अपवादों या रूपभेदों के अधीन रह कर, जैसे कि लोक अधिसूचना में उल्लिखित हों, प्रभावी होगी।

(२) इस अनुच्छेद में—

(क) "महापत्तन" से अभिप्रेत है कोई पत्तन जो संसद् द्वारा निर्मित किसी विधि या किसी वर्तमान विधि के द्वारा या अधीन महापत्तन घोषित किया गया है तथा उसके अन्तर्गत वह सब क्षेत्र हैं जो तत्समय ऐसे पत्तन की सीमाओं के अन्तर्गत हैं;

  1. अनुच्छेद ३६२ जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होगा।
  2. "के खंड (१)" शब्द संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।