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पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/३२१

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भारत का संविधान


भाग १९—प्रकीर्ण—अनु॰ ३६४—३६६

(ख) "विमान-क्षेत्र" से अभिप्रेत है वायु-पथों, विमानों और विमान-परिवहन से सम्बद्ध अधिनियमितियों के प्रयोजनों के लिये परिभाषित विमान-क्षेत्र।

संघ द्वारा दिये गये
निदेशों का अनुवर्तन
करने या उन को
प्रभावी करने में
असफलता का प्रभाव
[]३६५. जहां इस विधान के उपबन्धों में से किसी के अधीन संघ की कार्यपालिका शक्ति के प्रयोग में दिये गये किन्ही निदेशों का अनुवर्तन करने में या उनको प्रभावी करने में कोई राज्य असफल हुआ है वहां राष्ट्रपति के लिये यह मानना विधि-संगत होगा कि ऐसी अवस्था उत्पन्न हो गयी है जिन में राज्य का शासन इस संविधान के उपबन्धों के अनुकूल नहीं चलाया जा सकता।

 

परिभाषाएं३६६. जब तक प्रसंग से अन्यथा अपेक्षित न हो इस संविधान में निम्नलिखित पदों के वे अर्थ हैं जो क्रमशः उन को यहां दिये गये है, अर्थात्–

(१) "कृषि-आय" से अभिप्रेत है, भारतीय आय-कर से सम्बद्ध अधिनियमितियों के प्रयोजनों के लिये परिभाषित कृषि-आय;
(२) "आंग्ल भारतीय" से अभिप्रेत है वह व्यक्ति जिसका पिता अथवा पितृ-परम्परा में कोई अन्य पुरुष-जनक योरोपीय उद्भव का है या था, किन्तु जो भारत राज्य क्षेत्र के अन्तर्गत अधिवासी है और जो ऐसे राज्य-क्षेत्र में ऐसे जनकों से जन्मा है जो वहां साधारणतया निवास करते रहे है और केवल अस्थायी प्रयोजनों के लिये नहीं ठहरे हैं;
(३) "अनुच्छेद" से अभिप्रेत है इस संविधान का अनुच्छेद
(४) "उधार लेना" मे अन्तर्गत है वार्षिकियों के अनुदान द्वारा धन लेना तथा "उधार" का तदनुसार अर्थ किया जायेगा;
(५) "खंड" से अभिप्रेत है उस अनुच्छेद का खंड जिस में कि वह पद आता है;
(६) "निगम कर" से अभिप्रेत है कोई आय पर कर, जहां तक कि वह कर समवायो द्वारा देय है, तथा ऐसा कर है जिस के सम्बन्ध में निम्नलिखित शर्तें पूरी होती हैं
(क) कि वह कृषि आय के विषय में प्रभार्य नहीं है;
(ख) कि उस कर पर लागू होने वाली किन्हीं अधिनियमितियों में समवायों द्वारा दिये जाने वाले कर के बारे में कोई कटौती उन लाभाशों में से, जो समवायों द्वारा व्यक्तियों को देय हैं, प्राधिकृत नहीं है;
(ग) कि भारतीय आय-कर के प्रयोजनों के लिये ऐसे लाभांश पाने वाले व्यक्तियों की पूर्ण आय की गणना में अथवा ऐसे व्यक्तियों द्वारा देय अथवा उन को लौटाये जाने वाली भारतीय आय-कर की गणना में, इस प्रकार दिये गये कर को सम्मिलित करने का कोई उपबन्ध विद्यमान नहीं है;
(७) "तत्स्थानी प्रान्त", "तत्स्थानी देशी राज्य" अथवा "तत्स्थानी राज्य" से संशयात्मक दशाओं में अभिप्रेत है ऐसा प्रान्त, देशी राज्य, या राज्य जिसे प्रश्नास्पद विशिष्ट प्रयोजन के लिये राष्ट्रपति यथास्थिति तत्स्थानी प्रान्त, तत्स्थानी देशी राज्य अथवा तत्स्थानी राज्य निर्धारित करे;

  1. अनुच्छेद ३६५ जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होगा।