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भारत का संविधान

 

भाग १६—प्रकीर्ण—अनु॰ ३६६

(८) "ऋण" के अन्तर्गत है वार्षिकियों के रूप में मूलधन राशियों को लौटाने के किसी आभार के विषय में कोई दायित्व तथा किसी प्रत्याभूति के अधीन कोई दायित्व तथा "ऋणभारों" का तदनुसार अर्थ किया जायेगा;
(९) "सम्पत्ति शुल्क" से अभिप्रेत है कोई शुल्क जो मृत्यु पर रिक्थ हुई, अथवा संसद् या राज्य के विधान-मंडल द्वारा उस शुल्क के सम्बन्ध में निर्मित विधियों के उपबन्धों के अधीन वैसी रिक्थ हुई समझी जाने वाली, सारी सम्पत्ति के, उक्त विधियों के द्वारा या अधीन विहित नियमों के अनुसार अभिनिश्चित, मूल मूल्य पर या के निर्देश से परिगणित की जानी हो;
(१०) "वर्तमान विधि" से अभिप्रेत हैं कोई विधि, अध्यादेश, आदेश, उपविधि, नियम या विनियम जो इस संविधान के प्रारम्भ से पूर्व ऐसी विधि अध्यादेश, आदेश, उपविधि, नियम या विनियम को बनाने की शक्ति रखने वाले किसी विधान-मंडल, प्राधिकारी या व्यक्ति द्वारा पारित या निर्मित है;
(११) "फेडरलन्यायालय" से अभिप्रेत हैं भारत शासन अधिनियम, १९३५ के अधीन गठित फेडरलन्यायालय;
(१२) "वस्तुओं" के अन्तर्गत है सब सामग्री पण्य और पदार्थ;
(१३) "प्रत्याभूति" के अन्तर्गत है कोई ऐसा आभार जो इस संविधान के प्रारम्भ से पूर्व किसी उपक्रम के लाभों के किसी उल्लिखित राशि से कम होने की अवस्था में देने के लिये उठाया या हो;
(१४) "उच्चन्यायालय" से अभिप्रेत है कोई न्यायालय जो इस संविधान के प्रयोजनों के लिये किसी राज्य के लिये उच्चन्यायालय समझा जाता है, तथा इसके अन्तर्गत हैं—
(क) इस संविधान के अधीन उच्चन्यायालय रूप में गठित या पुनर्गठित भारत राज्य क्षेत्र में का कोई न्यायालय; तथा
(ख) भारत राज्य-क्षेत्र में का कोई अन्य न्यायालय जो इस संविधान के सब या किन्हीं प्रयोजनों के लिये संसद् से विधि द्वारा उच्चन्यायालय घोषित किया जाये;
(१५) "देशी राज्य" से अभिप्रेत है कोई ऐसा राज्य क्षेत्र जिसे भारत डोमीनियन की सरकार ऐसा राज्य अभिज्ञात करती थी;
(१६) "भाग" से अभिप्रेत है इस संविधान का भाग;
(१७) "निवृत्ति वेतन" से अभिप्रेत है किसी व्यक्ति को, या के बारे में देय किसी प्रकार का निवृत्ति वेतन चाहे फिर वह अंशदायी हो या न हो तथा इस के अन्तर्गत है उस प्रकार देय सेवा-निवृत्ति-वेतन, उस प्रकार देय उपदान तथा किसी भविष्य निधि के चन्दों को व्याज सहित या रहित तथा उनके अन्य जोड़ सहित या रहित लौटाने के लिये देय कोई राशि या राशियां;
(१८) "आपात की उद्घोषणा" से अभिप्रेत है वह उद्घोषणा जो कि अनुच्छेद ३५२ के खंड (१) के अधीन निकाली गयी हो;
(१९) "लोक-अधिसूचना" से अभिप्रेत है भारत के सूचना-पत्र में अथवा जैसी कि स्थिति हो, राज्य के राजकीय सूचना-पत्र में अधिसूचना;