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भारत का संविधान

 

भाग २१—अस्थायी तथा अन्तर्कालीन उपबन्ध—अनु॰ ३७८-३६२

लोक-सेवा
आयोग बारे में उपबन्ध
[१]३७८. (१) इस संविधान के प्रारम्भ से ठीक पहिले भारत डोमीनियन के लोकसेवा-आयोग के पदस्थ सदस्य, जब तक कि वे अन्यथा पसन्द न कर चुके हों, के ऐसे प्रारम्भ पर संघ-लोकसेवा आयोग के सदस्य हो जायेंगे तथा अनुच्छेद ३१६ के खंड (१) और (२) में किसी बात के होते हुए भी, किन्तु उस अनुच्छेद के खंड (२) के परन्तुक के अधीन रहते हुए अपनी उस पदावधि की, जो कि ऐसे प्रारम्भ से ठीक पहिले ऐसे सदस्यों को लागू होने वाले नियमों के अधीन निर्धारित हो समाप्ति तक पदस्थ बने रहेंगे।

(२) इस संविधान के प्रारम्भ से ठीक पहिले किसी प्रान्त के लोकसेवा आयोग के अथवा प्रान्तों के समूह की आवश्यकता के लिये सेवा करने वाले किसी‌ लोकसेवा-आयोग के पदस्थ सदस्य, जब तक कि वे अन्यथा पसन्द न कर चुके हों, यथास्थिति तत्स्थानी राज्य के लोकसेवा-आयोग के सदस्य अथवा तत्स्थानी राज्यों की आवश्यकताओं के लिये सेवा करने वाले संयुक्त राज्य लोकसेवा-आयोग के सदस्य हो जायेंगे तथा अनुच्छेद ३१६ के खंड (१) और (२) में किसी बात के होते हुए भी किन्तु उस अनुच्छेद के खंड (२) के परन्तुक के अधीन रहते हुए अपनी उस पदावधि की, जो कि ऐसे प्रारम्भ से ठीक पहिले ऐसे सदस्यों को लागू नियमों के अधीन निर्धारित हो, समाप्ति तक पदस्थ बने रहेंगे।

आंध्र प्रदेश विधान-
सभा की प्रस्ति
त्याविधि के बारे
में विषेय उपबन्ध
[२][३७८ क अनुच्छेद १७२ में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी राज्य पुनर्गठन अधिनियम, १९५६ की धारा २८ और २९ के उपबन्धों के अधीन यथागठित आन्ध्र प्रदेश राज्य की विधान-सभा, यदि पहिले ही विघटित न कर दी जाये तो उक्त धारा २६ में निर्दिष्ट तारीख से पांच वर्ष की कालावधि, न कि उससे अधिक के लिये‌ चालू रहेगी तथा उक्त कालावधि की समाप्ति का परिणाम उस विधान-सभा का विघटन होगा

३७९-३९१. संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा निरसित।

कठिनाइयों को दूर
करने की राष्ट्रपति
की शक्ति
[३]३९२. (१) राष्ट्रपति किन्हीं कठिनाइयों को विशेषतः भारत-शासन कठिनाइयां अधिनियम, १९३५ के उपबन्धों से इस संविधान के उपबन्धों में संक्रमण के सम्बन्ध में करने के प्रयोजन से आदेश द्वारा निर्देश दे सकेगा कि यह संविधान उस आदेश में उल्लिखित कालावधि में, ऐसे अनुकूलनों के अधीन, चाहे वे रूपभेद या जोड़ या लोप के रूप में हों, रह कर, जैसे कि वह आवश्यक या इष्टकर समझे, प्रभावी होगा :

परन्तु भाग ५ के अध्याय ३ के अधीन सम्यक् रूप से गठित संसद् के प्रथम अधिवेशन के पश्चात् ऐसा कोई आदेश न निकाला जायेगा।

(२) खंड (१) के अधीन निकाला गया प्रत्येक आदेश संसद् के समक्ष रखा जायेगा।

(३) इस अनुच्छेद अनुच्छेद ३२४ अनुच्छेद ३६७ के खंड (३) और

अनुच्छेद ३९१ द्वारा राष्ट्रपति को दी गई शक्तियां इस संविधान के प्रारम्भ से पहिले भारत डोमीनियन के गवर्नर जनरल द्वारा प्रयोक्तव्य होंगी।‌


  1. अनुच्छेद ३७८ जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होगा।
  2. संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २४ द्वारा अन्तःस्थापित
  3. "अनुच्छेद ३९२ जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होगा।