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भारत का संविधान


पंचम अनुसूची

(ख) उसके अधिवेशनों के संचालन तथा उसकी साधारण प्रक्रिया के, तथा
(ग) अन्य सब प्रासंगिक विषयों के।

यथास्थिति विहित करने या विनियमन करने के लिये नियम बना सकेगा।

(१) ५. अनुसूचित क्षेत्रों में लागू विधि.[१]इस संविधान में किसी बात के होते हुये भी [१][राज्यपाल] लोक-अधिसूचना द्वारा निदेश दे सकेगा कि संसद् का या उस राज्य के विधानमंडल का कोई विशेष अधिनियम उस राज्य में के अनुसूचित क्षेत्र या उसके किसी भाग में लागू न होगा अथवा राज्य में के अनुसूचित क्षेत्र या उस के किसी भाग में ऐसे अपवादों और रूपभेदों के साथ लागू होगा जैसा कि वह अधिसूचना में उल्लिखित करे और इस उपकंडिका के अधीन दिया कोई निदेश इस प्रकार दिया जा सकेगा कि उसका भूतलक्षी प्रभाव हो।

(२) [१][राज्यपाल] राज्य में के किसी ऐसे क्षेत्र की शान्ति और सुशासन के लिये विनियम बना सकेगा जो कि तत्समय अनुसूचित क्षेत्र है।

विशेषतया तथा पूर्ववर्ती शक्ति की व्यापकता पर बिना प्रतिकूल प्रभाव डाले ऐसे विनियम—

(क) ऐसे क्षेत्र में की अनुसूचित आदिमजातियों के सदस्यों द्वारा या में भूमि के हस्तान्तरण का प्रतिषेध या निर्बन्धन कर सकेंगे;
(ख) ऐसे क्षेत्र में की आदिमजातियों के सदस्यों को भूमि बांटने का विनियमन कर सकेंगे;
(ग) ऐसे व्यक्तियों के द्वारा, जो ऐसे क्षेत्र की अनुसूचित आदिमजातियों के सदस्यों को धन उधार देते हैं, साहूकार के रूप में कारबार करने का विनियमन कर सकेंगे।

(३) ऐसे किसी विनियम को बनाने में, जैसा कि इस कंडिका की उपकंडिका (२) में निर्दिष्ट है राज्यपाल [२]* * * संसद् के या उस राज्य के विधानमंडल के अधिनियम को अथवा किसी वर्तमान विधि को, जो प्रश्नास्पद क्षेत्र में तत्समय लागू है, निरसित या संशोधित कर सकेगा।

(४) इस कंडिका के अधीन बनाये गये सब विनियम तुरन्त राष्ट्रपति को प्रेषित किये जायेंगे और जब तक वह उनको अनुमति न दे दे तब तक उनका कोई प्रभाव न होगा।

(५) इस कंडिका के अधीन कोई विनियम तब तक न बनाया जायेगा जब तक कि विनियम बनाने वाले राज्यपाल [३]* * * ने उस राज्य के लिये आदिमजाति-मंत्रणा-परिषद् होने की अवस्था में ऐसी परिषद् से परामर्श न कर लिया हो ।

भाग ग
अनुसूचित क्षेत्र

६. अनुसूचित क्षेत्र.—(१) इस संविधान में “अनुसूचित क्षेत्रों "पदावलि से अभिप्रेत है ऐसे क्षेत्र जिन्हें राष्ट्रपति [४]आदेश द्वारा अनुसूचित क्षेत्र होना घोषित करे ।


  1. १.० १.१ १.२ संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २८ ओर अनुसूची द्वारा "यथास्थिति राज्यपाल या राजप्रमुख" के स्थान पर रखे गये।,
  2. "या राज प्रमुख" शब्द संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।
  3. "या राजप्रमुख" शब्द उपरोक्त के ही मुक्त कर दिये गये।
  4. देखिये (१) विधि मंत्रालय आदेश संख्या सी० ओ० ९ तारीख २६ जनवरी, १९५० भारत सरकार का असाधारण गजट पृष्ठ ६७० के साथ प्रकाशित अनुसूचित क्षेत्र [भाग (क) राज्य] आदेश १९५०.
    (२) विधि मंत्रालय अधिसूचना संख्या सी० ओ० २६ तारीख ७ दिसम्बर, १९५० भारत का असाधारण गजट भाग २ अनुभाग ३, पृष्ठ ६७५ के साथ प्रकाशित अनुसूचित क्षेत्र [भाग (ख) राज्य] आदेश १९५०।