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भारत का संविधान


पंचम अनुसची

(२) राष्ट्रपति किसी समय भी आदेश द्वारा—
(क) निर्देश दे सकेगा कि कोई सम्पूर्ण अनुसूचित क्षेत्र या उस का कोई उल्लिखित भाग अनुसूचित क्षेत्र या ऐसे क्षेत्र का भाग न रहेगा;
(ख) किसी अनुसूचित क्षेत्र को बदल सकेगा, किन्तु केवल सीमाओं का शोधन कर के ही बदल सकेगा;
(ग) किसी राज्य की सीमाओं के किसी परिवर्तन पर अथवा संघ में किसी नये राज्य के प्रवेश पर अथवा नये राज्य की स्थापना पर ऐसे किमी क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र या उसका भाग घोषित कर सकेगा जो पहिले से किसी राज्य में समाविष्ट नहीं है;

तथा ऐसे किसी प्रादेश में ऐसे प्रासंगिक और आनुषंगिक उपबन्ध हो सकेंगे जैसे कि राष्ट्रपति को ग्रावश्यक और उचित प्रतीत हों, किन्तु उपर्युक्त रीति से अन्यथा इस कंडिका की उपकंडिका (१) के अधीन निकाला गया आदेश किसी अनुगामी आदेश से परिवर्तित नहीं किया जायेगा।

भाग घ
अनुसूची का संशोधन

७. अनुसूची का संशोधन.—(१) संसद्, समय समय पर, निधि द्वारा जोड़, फेरफार या निरसन कर के, इस अनुसूची के उपबन्धों में से किसी का संशोधन कर सकेगी तथा जब अनुसूची इस प्रकार संशोधित हो जाये तब इस संविधान में इस अनुसूची के प्रति किसी निर्देश का अर्थ ऐसा किया जायेगा कि मानो वह निर्देश इस प्रकार संशोधित ऐसी अनुसूची के प्रति है।

(२) ऐसी कोई विधि, जैसी कि इस कंडिका की उपकंडिका (१) में वर्णित है, इस संविधान के अनुच्छेद ३६८ के प्रयोजनों के लिये इग संविधान का संशोधन नहीं समझी जायेगी।