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भारत का संविधान


षष्ठ अनुसूची

(ख) राज्य के विधानमंडल के पूर्व अनुमोदन से ऐसी परिषद् के प्राधिकाराधीन क्षेत्र के प्रशासन को राज्यपाल अपने हाथ में ले सकेगा अथवा ऐसे क्षेत्र के प्रशासन के ऐसे आयोग के, जो उक्त कंडिका के अधीन नियुक्त हआ है, अथवा अन्य किसी निकाय के, जिसे वह समुपयुक्त समझता है हाथ में बारह से अनधिक मास की कालावधि के लिये दे सकेगा:

परन्तु जब इस कंडिका के खंड (क) के अधीन कोई आदेश दिया गया हो तब राज्यपाल प्रश्नास्पद क्षेत्र के प्रशासन के बारे में साधारण निर्वाचन होने पर परिषद् के पुनर्गठन के प्रश्न के लम्बित रहने तक इस कंडिका के खंड (ख) में निर्दिष्ट कार्यवाही कर सकेगा :

परन्तु यह और भी कि यथास्थिति जिला या प्रादेशिक परिषद् को, राज्य के विधानमंडल के सामने अपने विचारों को रखने का अवसर दिये विना इस कंडिका के खंड (ख) के अधीन कोई कार्यवाही न की जायेगी।

१७. स्वायत्तशासी जिलों में निर्वाचन-क्षेत्रों के बनाने के हेतु ऐसे जिलों से क्षेत्रों का अपवर्जन.—आसाम की विधान-सभा के निर्वाचनों के प्रयोजन के लिये राज्यपाल आदेश द्वारा घोषित कर सकेगा कि किसी स्वायत्तशासी जिले के अन्दर का कोई क्षेत्र ऐसे किसी जिले के लिये सभा में रक्षित स्थान या स्थानों के भरने के लिये किसी निर्वाचन क्षेत्र का भाग न होगा, किन्तु इस प्रकार रक्षित न हुए सभा में के स्थान या स्थानों के भरने के लिये प्रादेश में उल्लिखित निर्वाचनक्षेत्र का भाग होगा।

१८. कंडिका २० से संलग्न सारणी के भाग (ख) में उल्लिखित क्षेत्रों पर इस अनुसूची के उप-बंधों का लागू होना.—(१) राज्यपाल—

(क) राष्ट्रपति के पूर्वानमोदन से लोक-अधिसूचना द्वारा इस अनसूची के पूर्वगामी सब अथवा किन्हीं उपबन्धों को कंडिका २० से संलग्न सारणी के भाग (ख) में उल्लिखित किसी मादिमजाति-क्षेत्र को, अथवा ऐसे क्षेत्र के किसी भाग को, लाग कर सकेगा तथा ऐसा होने पर ऐसे क्षेत्र का या भाग का प्रशासन ऐसे उपबन्धों के अनुसार होगा, तथा
(ख) ऐसे ही अनुमोदन से लोक-अधिसूचना द्वारा, उक्त सारणी से उस सारणी के भाग (ख) में उल्लिखित किसी आदिमजाति क्षेत्र को प्रथवा उसके किसी भाग को अपवर्जित कर सकेगा।

(२) उक्त सारणी के भाग (ख) में उल्लिखित किसी आदिमजाति-क्षेत्र अथवा ऐसे क्षेत्र के किसी भाग के बारे में जब तक इस कंडिका की उपकंडिका (१) के अधीन मधिसूचना नहीं निकाली जाती तब तक यथास्थिति ऐसे क्षेत्र अथवा उसके भाग का प्रशासन राष्ट्रपति, आसाम के राज्यपाल द्वारा, जो उसके अभिकर्ता के रूप में होगा, करेगा तथा इस संविधान के [१][अनुच्छेद २४०] के उपबन्ध उसमें इस प्रकार लागू होंगे मानो कि ऐसा क्षेत्र या उसका भाग [२][उस अनुच्छेद में उल्लिखित संघ राज्य-क्षेत्र है।]

(३) इस कंडिका की उपकंडिका (२) के अधीन राष्ट्रपति के अभिकर्ता के रूप में अपने कृत्यों के निर्वहन में राज्यपाल अपने स्वविवेक से कार्य करेगा।

१९. अन्तर्कालीन उपबन्ध—(१) इस संविधान के प्रारम्भ के पश्चात् यथासम्भव शीघ्र इस अनुसूची के अधीन राज्यपाल राज्य में के प्रत्येक स्वायत्तशासी जिले के लिये जिला-परिषद् के गठन के लिये अग्रसर होगा तथा जब तक किसी स्वायत्तशासी जिले के लिये जिला परिषद इस प्रकार गठित न हो तब तक ऐसे जिले का प्रशासन राज्यपाल में निहित होगा तथा ऐसे जिले के भीतर के क्षेत्रों के प्रशासन के लिये इस अनुसूची में दिये पूर्वगामी उपबन्धों के स्थान पर निम्नलिखित उपबन्ध लागू होंगे, अर्थात्:—

(क) संसद का अथवा उस राज्य के विधानमंडल का कोई अधिनियम ऐसे क्षेत्र में तब तक लागू न होगा जब तक कि राज्यपाल लोक-अधिसूचना द्वारा ऐसा होने का निदेश न दे, तथा किसी अधिनियम के बारे में राज्यपाल ऐसा निदेश देते हुए यह निदेश दे सकेगा कि वह अधिनियम किसी क्षेत्र अथवा उसके किसी उल्लिखित भाग में ऐसे अपवादों और रूपभेदों सहित लागू होगा जिनको वह उचित समझे;

  1. संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा प्रतिस्थापित।
  2. उपरोक्त के ही द्वारा "प्रथम अनुसूची के भाग (घ) में उल्लिखित राज्यक्षेत्र है" के स्थान पर रखे गये।