सप्तम अनुसूची
२०. भारत के बाहर के स्थानों की तीर्थयात्राएं।
२१. महासमुद्र या वायु में की गई जलदस्युता और अपराध; स्थल या महासमुद्र या वायु में राष्ट्रों की विधि के विरुद्ध किये गये अपराध।
२२. रेल।
२३. राज-पथ जिन्हें संसद्-निर्मित विधि के द्वारा या अधीन राष्ट्रीय राज्य-पथ घोषित किया गया है।
२४. यंत्र-चालित जलयानों के विषय में ऐसे अन्तर्देशीय जल-पथों में नौ-वहन और नौ-परिवहन जो संसद्-निर्मित विधि द्वारा राष्ट्रीय जल-पथ घोषित किये गये हैं; तथा ऐसे जल-पथों के पथ-नियम।
२५. समद्र-नौवहन और नौ-परिवहन जिसके अन्तर्गत ज्वार-जल नौवहन और नौ-परिवहन भी हैं; वणिक-पोतीय शिक्षा और प्रशिक्षण के लिये उपबन्ध तथा राज्यों और अन्य अभिकरणों द्वारा दी जाने वाली ऐसी शिक्षा और प्रशिक्षण का विनियमन।
२६. प्रकाशस्तम्भ, जिन के अन्तर्गत प्रकाशपोत, आकाशदीप तथा नौवहन और विमानों की सुरक्षित-ता के लिये अन्य उपबन्ध भी हैं।
२७. वे पत्तन जिन को संसद्-निर्मित विधि या वर्तमान विधि के द्वाग या अधीन महा-पत्तन घोषित किया गया है, जिसके अन्तर्गत उनका परिसीमन तथा उनमें पत्तन-प्राधिकारियो का गठन और शक्तियां भी हैं।
२८. पत्तन-निरोधा, जिसके अन्तर्गत उस से सम्बद्ध चिकित्सालय भी हैं; नाविक और समुद्रीय चिकित्सालय।
२९. वायु-पथ; विमान और विमान-परिवहन, विमान-क्षेत्रों का उपबन्ध; विमान-यातायात और विमान-क्षेत्रों का विनियमन और संघटन; वैमानिक शिक्षा और प्रशिक्षण के लिये उपबन्ध तथा राज्यों और अन्य अभिकरणों द्वारा दी गई ऐसी शिक्षा और प्रशिक्षण का विनियमन।
३०. रेल-पथ, समुद्र या वायु से अथवा यंत्रचालित यानों में राष्ट्रीय जल-पथों से यात्रियों और वस्तुओं का वहन।
३१. डाक और तार; दूरभाष, बेतार, प्रसारण और अन्य समरूप संचार।
३२. संघ की सम्पत्ति और उससे उत्थित राजस्व किन्तु [१]* * * किसी राज्य में अवस्थित सम्पत्ति के विषय में, जहां तक संसद् विधि द्वारा अन्यथा उपबन्ध न करे वहां तक, उस राज्य के विधान के अधीन रहते हुए।
[२]***
[३]३४. देशी राज्यों के शासकों की सम्पत्ति के लिये प्रतिपालक-अधिकरण।
३५. संघ का लोक-ऋृण ।
३६. चलार्थ, टंकण और विधिमान्य; विदेशीय विनिमय।