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भारत का संविधान


सप्तम अनुसूची

५७. जलप्रांगण से परे मछली पकड़ना और मीन-क्षेत्र।

५८. संघ अभिकरणों द्वारा लवण का निर्माण, सम्भरण और वितरण, अन्य अभिकरणों द्वारा लवण के निर्माण, सम्भरण और वितरण का विनियमन और नियंत्रण।

५९. अफीम की खेती, निर्माण तथा निर्यात के लिय विक्रय।

[१]६०. प्रदर्शन के लिये चल-चित्रों की मंजूरी।

६१. संघ के नौकरों ने संपृक्त औद्योगिक विवाद।

६२. इस संविधान के प्रारम्भ पर राष्ट्रीय पुस्तकालय, भारतीय संग्रहालय, साम्राज्यिक यद्ध-संग्रहालय विक्टोरिया-स्मारक, भारतीय युद्ध स्मारक नामों से ज्ञात संस्थाएं तथा भारत सरकार द्वारा पूर्णत: या अंशतः वित्त-पोषित तथा संसद् से विधि द्वारा राष्ट्रीय मंतव्य की घोषित ऐसी कोई अन्य तद्रूप संस्था।

६३. इस संविधान के प्रारम्भ पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय नामों से ज्ञात संस्थाएं तथा संसद् से विधि द्वारा राष्ट्रीय महत्व की घोषित कोई अन्य संस्था।

६४. भारत सरकार से पूर्णत: या अंशत: वित्त-पोषित तथा संसद् से विधि द्वारा राष्ट्रीय महत्त्व की संस्था घोषित वैज्ञानिक या शिल्पिक शिक्षा-संस्थाएं।

६५. संघ-अभिकरण और संस्थाएं जो—

(क) वृत्तिक, व्यावसायिक या शिल्पिक प्रशिक्षण, जिनके अन्तर्गत आरक्षी पदाधिकारियों का प्रशिक्षण भी है, के लिये है; अथवा
(ख) विशेष अध्ययनों की गवेषणा की उन्नति के लिये है; अथवा
(ग) अपराध के अनुसन्धान या पता चलाने में वैज्ञानिक या शिल्पिक सहायता के लिये है।

६६. उच्चतर शिक्षा या गवेषणा की संस्थाओं में तथा वैज्ञानिक और शिल्पिक संस्थाओं में एकसूत्रता लाना और मानों का निर्धारण।

[२]६७. [३][संसद् द्वारा निर्मित विधि के द्वारा या ग्रंथीत राष्ट्रीय महत्व के घोषित] प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक और अभिलेख तथा पुरातत्वीय स्थान और अवशेष।

६८. भारतीय भूपरिमाप, भूतत्वीय, वानस्पतिक, नरतत्वीय, प्राणकीय परिमाप; अन्तरिक्ष-शास्त्रीय संस्थाएं।

[१]६९. जनगणना।

७०. संघ-लोकसेवाएं, अखिल भारतीय सेवाएं, संघ-लोक-सेवा-आयोग।


  1. १.० १.१ जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होंगी।,
  2. जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होने में प्रविष्टि ६७ के स्थान पर निम्नलिखित रख दी जायेगी अर्थात्–
    "६७. संसद् द्वारा विधि द्वारा राष्ट्रीय महत्व के घोषित प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक और पुरातत्वीय स्थान, और अवशेष।"
  3. संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २७ द्वारा "संसद् से विधि द्वारा राष्ट्रीय महत्व के घोषित" शब्दों के स्थान पर रखे गये।