पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/४१

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अनुच्छेद पृष्ठ संख्या
३७२ वर्तमान विधियों का प्रवृत्त बने रहना तथा उनका अनुकूलन
१४६
३७२ विधियों का अनुकूलन करने की राष्ट्रपति की शक्ति
३७३ निवारक-निरोध में रखे गये व्यक्तियों के सम्बन्ध में कुछ अवस्थानों में आदेश देने की राष्ट्रपति की शक्ति
१४७
३७४ फेडरलन्यायालय के न्यायाधीशों के, तथा फेडरलन्यायालय में अथवा सपरिषद् सम्राट के, समक्ष लम्बित कार्यवाहियों के बारे में उपबन्ध
१४८
३७५ संविधान के उपबन्धों के अधीन रह कर न्यायालयों, प्राधिकारियों और पदाधिकारियों का कृत्य करते रहना
१४८
३७६ उच्चन्यायालय के न्यायाधीशों के बारे में उपबन्ध १४९
३७७ भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के बारे में उपबन्ध १४९
३७८ लोकसेवा आयोग के बारे में उपबन्ध १४९
३७८ आन्ध्र प्रदेश विधान सभा की अस्तित्वावधि के बारे में उपबन्ध
१५०
३७९—३९१ [निरसित] १५०
३९२ कठिनाइयां दूर करने की राष्ट्रपति की शक्ति १५०

भाग २२
संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ और निरसन

३९३ संक्षिप्त नाम १५१
३९४ प्रारम्भ १५१
३९५ निरसन १५१

अनुसूचियां

प्रथम अनुसूची—भारत के राज्य और राज्य-क्षेत्र १५२
द्वीतीय अनुसूची
भाग (क) राष्ट्रपति तथा राज्यों के राज्यपालों के लिये उपबन्ध १५४
भाग (ख)—[निरसित] १५४
,भाग (ग)—लोक सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तथा राज्य-सभा के सभापति और उपसभापति के तथा राज्य की विधान-सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तथा राज्य की विधान परिषद के सभापति और उपसभापति के सम्बन्ध में उपबन्ध
१५४
भाग (घ)—उच्चतमन्यायालय तथा उच्चन्यायालयों के न्यायाधीशों के सम्बन्ध में उपबन्ध
१५५
भाग (ङ)—भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के सम्बन्ध में उपबन्ध १५८
तृतीय अनुसूची—शपथ और प्रतिज्ञान के प्रपत्र। १५९