पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/४४५

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परिशिष्ट

संविधान (षष्ठ संशोधन) अधिनियम, १९५६

भारत के संविधान का अपर संशोधन करने के लिए अधिनियम

(११ सितम्बर, १९५६)

भारत गणराज्य के सातवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नरूपेण अधिनियमित हो—

संक्षिप्त नाम१. यह अधिनियम संविधान (पष्ठ संशोधन) अधिनियम, १९५६ के नाम से ज्ञात हो सकेगा।

सप्तम अनुसूचीका
संशोधन
२. संविधान की सप्तम अनुसूची में—

(क) संघ सूची में प्रविष्टि ९२ के पश्चात् निम्नलिखित प्रविष्टि अन्तःस्थापित की जाएगी, अर्थात्—

"९२क . समाचारपत्रों से भिन्न वस्तुओं के क्रय या विक्रय पर उस सूरत में कर जिसमे कि ऐसा क्रय या विक्रय अन्तर्राज्यिक व्यापार या वाणिज्य की चर्या में हो," और

(ख) राज्य सूची में प्रविष्टि ५४ के स्थान पर निम्नलिखित प्रविष्टि रख दी जाएगी, अर्थात्—

"५४. सूची १ की प्रविष्टि ९२क के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, समाचार-पत्रों से भिन्न वस्तुओं के क्रय या विक्रय पर कर।"

अनुच्छेद २६९ का
संशोधन
३. संविधान के अनुच्छेद २६९ में,—

(क) खंड (१) में उपखंड (च) के पश्चात् निम्नलिखित उपखंड अन्तःस्थापित किया जाएगा, अर्थात्—
“(छ) समाचारपत्रों से भिन्न वस्तुओं के क्रय या विक्रय पर उस सूरत में कर जिसमें कि ऐसा क्रय या विक्रय अन्तर्राज्यिक व्यापार या वाणिज्यिक की चर्या में हो।" और
(ख) खंड (२) के पश्चात् निम्नलिखित खंड अन्तःस्थापित किया जाएगा, अर्थात्—
"(३) यह अवधारित करने के लिये कि अन्तर्राज्यिक व्यापार या वाणिज्य की चर्या में वस्तुओं का क्रय या विक्रय कब होता है संसद् विधि द्वारा सिद्धांत सूत्रित कर सकेगी।"

अनुच्छेद २८६ का
संशोधन
४. संविधान के अनुच्छेद २८६ में,—

(क) खंड (१) में व्याख्या लुप्त कर दी जाएगी, और
(ख) खंड (२) और (३) के स्थान पर निम्नलिखित खंड रख दिये जायेंगे, अर्थात्—
"(२) यह अवधारित करने के लिये कि खंड (१) में वर्णित प्रकारों में से किसी में की वस्तुओं का क्रय या विक्रय कब होता है संसद् विधि द्वारा सिद्धांत सूत्रित कर सकेगी।"

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