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पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/४५

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भारत का संविधान

प्रस्तावना हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभूत्व-सम्पन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिये, तथा उस के समस्त नागरिकों को :

सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता तथा उन सब में प्राप्त कराने के लिये, व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता सुनिश्चित करने वाली बन्धुता बढ़ाने के लिये दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान-सभा में आज तारीख २६ नवम्बर, १८४९ ई॰ (मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी, संवत् दो हज़ार छः विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अङ्गीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते है।

 
4-1 Law/57