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पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/६७

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भारत का संविधान

 

भाग ३—मूल अधिकार—अनु॰ २७—३१

किसी विशेष धर्म की
उन्नति के लिए करों
के देने के बारे में
स्वतंत्रता
२७. कोई भी व्यक्ति ऐसे करों को देने के लिये बाध्य नहीं किया जायेगा जिनके आगे में किसी विशेष धर्म अथवा धार्मिक सम्प्रदाय की उन्नति या पोषण में व्यय करने के लिये विशेष रूप से विनियुक्त कर दिये गये हों।

 

कुछ शिक्षा संस्थाओं
में धार्मिक शिक्षा
अथवा धार्मिक
उपासना में उप-
उपस्थित होने के विषय
स्वतंत्रता
२८. (१) राज्य निधि से पूरी तरह से पोषित किसी शिक्षा संस्था में कोई धार्मिक शिक्षा न दी जायेगी।

(२) खंड (१) की कोई बात ऐसी शिक्षा संस्था पर लागू न होगी जिसका प्रशासन राज्य करता हो किन्तु जो किसी ऐसे धर्मस्व या न्यास के अधीन स्थापित हुई जिसके अनुसार उस संस्था में धार्मिक शिक्षा देना आवश्यक है।

(३) राज्य से अभिज्ञात अथवा राज्य निधि से सहायता पाने वाली शिक्षा- संस्था में उपस्थित होने वाले किसी व्यक्ति को ऐसी संस्था में दी जाने वाली धार्मिक शिक्षा में भाग लेने के लिये अथवा ऐसी संस्था में या उस से संलग्न स्थान में की जाने वाली धार्मिक उपासना में के लिये बाध्य न किया जायेगा जब तक कि उस व्यक्ति ने, या यदि वह अवयस्क तो उस के संरक्षक ने इसके लिये अपनी सम्मति न दे दी हो।

संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार

अल्पसंख्यकों के हितों
का संरक्षण
२९. (१) भारत के राज्य क्षेत्र अथवा उसक किसी भाग के निवासी नागरिकों के किसी विभाग को, जिस की अपनी विशेष भाषा, लिपि या संस्कृति है, उसे बनाये रखने का अधिकार होगा।

(२) राज्य द्वारा पोषित अथवा राज्य निधि से सहायता पाने वाली किसी शिक्षा-संस्था में प्रवेश से किसी भी नागरिक को केवल धर्म, मूलवंश, जाति, भाषा अथवा इन में से किसी के आधार पर वंचित न रखा जायेगा। शिक्षा संस्थानों की
स्थापना और प्रशा-
सन करने का
अल्पसंख्यकों का
अधिकार

३०. (१) धर्म या भाषा पर आधारित सब अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार होगा।

(२) शिक्षा संस्थाओं को सहायता देने में राज्य किसी विद्यालय के विरुद्ध इस आधार पर विभेद न करेगा कि वह धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यक-वर्ग के प्रबन्ध में है।

सम्पत्ति का अधिकार

सम्पत्ति का अनिवार्य
अर्जन

[]३१. (१) कोई व्यक्ति विधि के अधिकार के बिना अपनी सम्पत्ति से वंचित नहीं किया जायेगा।


  1. जम्मू और काश्मीर राज्य को लागू होने में अनुच्छेद ३१ में खंड (३), (४) और (६) लुप्त कर दिये जाएंगे और खंड (५) के स्थान पर निम्नलिखित खंड रख दिया जाएगा, अर्थात्—
    "(५) खंड (२) की किसी बात से—
    (क) किसी वर्तमान विधि के उपबन्धों पर, या
    (ख) एतत्पश्चात् राज्य जो कोई विधि—
    (१) किसी कर या अर्थदण्ड के उद्ग्रहण या आरोपण के प्रयोजन के लिए, या
    (२) सार्वजनिक स्वास्थ्य की उन्नति या प्राण या सम्पत्ति के संकट निवारण के लिए,
    (३) उस सम्पत्ति के लिए, जो विधि द्वारा निष्काम्य सम्पत्ति घोषित की गई है बनाए उसके उपबन्धों पर, प्रभाव नहीं होगा।"