पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/८९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

भारत का संविधान
भाग ५—संघ-अनु॰ ५५–५८.

(ख) एक हज़ार के उक्त गुणितों को लेने के बाद यदि शेष पाँच सौ से कम न हो तो उपखंड (क) में उल्लिखित प्रत्येक सदस्य के मतों की संख्या में एक और जोड़ दिया जायेगा,
(ग) संसद के प्रत्येक सदन के प्रत्येक निर्वाचित सदस्य के मतों की संख्या वही होगी जो उपखंड (क) तथा (ख) के अधीन राज्यों की विधान-सभाओं के सदस्यों के लिये नियत सम्पूर्ण मत-संख्या को, संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों की सम्पूर्ण संख्या से भाग देने से पाये, जिसमें आधे से अधिक भिन्न को एक गिना जायेगा तथा अन्य भिन्नों की उपेक्षा की जायेगी।

(३) राष्ट्रपति का निर्वाचन, अनुपाती प्रतिनिधित्व-पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होगा तथा ऐसे निर्वाचन में मतदान गूढ़ शलाका द्वारा होगा।

व्याख्या.—इस अनुच्छेद में "जनसंख्या" से, ऐसी अन्तिम पूर्वगत जनगणना में निश्चित की गई जनसंख्या अभिप्रेत है, जिस के तत्सम्बन्धी आंकड़े प्रकाशित हो चुके हैं।

राष्ट्रपति की
पदावधि
५६. (१) राष्ट्रपति अपने पद-ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा :

परन्तु—
(क) राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति को सम्बोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा;
(ख) संविधान का अतिक्रमण करने पर राष्ट्रपति अनुच्छेद ६१ में उपबन्धित रीति से किये गये महाभियोग द्वारा पद से हटाया जा सकेगा;
(ग) राष्ट्रपति अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी अपने उत्तराधिकारी के पद ग्रहण तक पद धारण किये रहेगा।

(२) खंड (१) के परन्तुक के खंड (क) के अधीन उपराष्ट्रपति को सम्बोधित किसी त्यागपत्र की सूचना उस के द्वारा लोक सभा के अध्यक्ष को अविलम्ब दी जायेगी।

पुननिर्वाचन के
लिये पात्रता

५७. कोई व्यक्ति जो राष्ट्रपति के रूप में पद धारण कर रहा है अथवा कर चुका है इस संविधान के अन्य उपबन्धों के अधीन रहते हुए, उस पद के लिये पुननिर्वाचन का पात्र होगा।

राष्ट्रपति निर्वा-
चित होने के लिये
अर्हताएं

५८. (१) कोई व्यक्ति राष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र न होगा जब तक कि वह—

(क) भारत का नागरिक न हो,
(ख) पैंतीस वर्ष की आयु पूरी न कर चुका हो, तथा
(ग) लोक-सभा के लिये सदस्य निर्वाचित होने की अर्हता न रखता हो।