पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/९३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२५
भारत का संविधान

 

भाग ५ संघ—अनु॰ ६१–६४

(२) ऐसा कोई दोषारोप तब तक नहीं किया जायेगा जब तक कि—

(क) ऐसे दोषारोप के करने की प्रस्थापना किसी संकल्प में न हो, जो कम से कम चौदह दिन की ऐसी लिखित सूचना के दिये जाने के पश्चात् प्रस्तुत किया गया है, जिस पर उस सदन के कम से कम एक चौथाई सदस्यों ने हस्ताक्षर कर के, उस संकल्प को प्रस्तावित करने का विचार प्रगट किया है, तथा
(ख) उस सदन के समस्त सदस्यों के कम से कम दो तिहाई बहुमत से ऐसा संकल्प पारित न किया गया हो।

(३) जब दोषारोप संसद् के किसी सदन द्वारा इस प्रकार किया जा चुके तब दूसरा सदन उस दोषारोप का अनुसंधान करेगा या करायेगा तथा इस अनुसंधान में उपस्थित होने का तथा अपना प्रतिनिधित्व कराने का राष्ट्रपति को अधिकार होगा।

(४) यदि अनुसंधान के फलस्वरूप राष्ट्रपति के विरुद्ध किये गये दोषारोप की सिद्धि को घोषित करने वाला संकल्प दोषारोप के अनुसंधान करने या कराने वाले सदन के समस्त सदस्यों के कम से कम दो तिहाई बहुमत से पारित हो जाता है तो ऐसे संकल्प का प्रभाव उसकी पारण तिथि से राष्ट्रपति का अपने पद से हटाया जाना होगा। राष्ट्रपति पद की
रिक्तता-पूर्ति के
लिये निर्वाचन
करने का समय
तथा आकस्मिक
रिक्तता-पूर्ति के
लिये निर्वाचित
व्यक्ति की पदावधि

६२. (१) राष्ट्रपति की पदावधि की समाप्ति से हुई रिक्तता की पूर्ति के लिये निर्वाचन अवधि समाप्ति से पूर्व ही पूर्ण कर लिया जायेगा।

(२) राष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग या पद से हटाये जाने अथवा अन्य कारण से हुई उस के पद की रिक्तता की पूर्ति के लिये निर्वाचन, रिक्तता होने की तारीख के पश्चात् यथासंभव शीघ्र और हर अवस्था में छः मास बीतने के पहिले किया जायेगा, तथा रिक्तता-पूर्ति के लिये निर्वाचित व्यक्ति अनुच्छेद ५६ के उपबन्धों के अधीन रहते हुए अपने पद ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की पूरी अवधि के लिये पद धारण करने का हक्कदार होगा।

भारत का उप
राष्ट्रपति

६३. भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा।

 

उपराष्ट्रपति का
पदेन राज्यसभा
का सभापति होना

 

६४. उपराष्ट्रपति, पदेन, राज्य सभा का सभापति होगा तथा अन्य कोई उपराष्ट्रपति का लाभ का पद धारण न करेगा :

परन्तु जिस किसी कालावधि में उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है अथवा अनुच्छेद ६५ के अधीन राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन करता है तब वह राज्य सभा के सभापति पद के कर्तव्यों को न करेगा तथा उसे अनुच्छेद ९७ के अधीन राज्य सभा के सभापति को दिये जाने वाले किसी वेतन अथवा भत्ते का हक्क न होगा।

7—1 M. of Law/57