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पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/९५

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भारत का संविधान

 

भाग ५—संघ—अनु॰ ६५–६७

राष्ट्रपति के पद की
आकस्मिक
रिक्तता अथवा
उस की अनुप-
स्थिति में उप-
राष्ट्रपति का
राष्ट्रपति के रूप में
कार्य करना
अथवा उस के
कृत्यों का निर्वहन
६५. (१) राष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग अथवा पद से हटाये जाने अथवा अन्य कारण से उस के पद में हुई रिक्तता की अवस्था में उपराष्ट्रपति उस तारीख तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा जिस तारीख को इस अध्याय के ऐसी रिक्तता-पूर्ति संबंधी उपबन्धों के अनुसार निर्वाचित नया राष्ट्रपति अपने पद को ग्रहण करता है।

(२) अनुपस्थिति, बीमारी अथवा अन्य किसी कारण से जब राष्ट्रपति अपने कृत्यों को करने मैं असमर्थ हो, तब उपराष्ट्रपति उस के कृत्यों का निर्वहन उस तारीख तक करेगा जिस तारीख को कि राष्ट्रपति अपने कर्त्तव्यों को फिर से संभाले।

(३) उपराष्ट्रपति को उस कालावधि में और उस कालावधि के संबंध में, जब कि वह राष्ट्रपति के रूप में इस प्रकार कार्य करता है अथवा उसके कृत्यों का निर्वहन कर रहा है, राष्ट्रपति की सब शक्तियाँ और उन्मुक्तियाँ होंगी तथा उसे ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का, जिन्हें संसद् विधि द्वारा निश्चित करे, तथा जब तक उस विषय में इस प्रकार उपबन्ध नहीं किया जाता तब तक ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का, जो द्वितीय अनुसूची में उल्लिखित हैं, हक्क होगा।

उपराष्ट्रपति का
निर्वाचन
६६. (१) संयुक्त अधिवेशन में समवेत संसद् के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा अनुपाती प्रतिनिधित्व-पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा उपराष्ट्रपति का निर्वाचन होगा तथा ऐसे निर्वाचन में मतदान गूढ़ शलाका द्वारा होगा।

(२) उपराष्ट्रपति न तो संसद् के किसी सदन का, और न किसी राज्य के विधान मंडल के सदन का सदस्य होगा तथा यदि संसद् के किसी सदन का अथवा किसी राज्य के विधान-मंडल के सदन का सदस्य उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो जाये तो यह समझा जायेगा कि उस ने उस सदन का अपना स्थान उपराष्ट्रपति के रूप में अपने पद-ग्रहण की तारीख से रिक्त कर दिया है।

(३) कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र न होगा जब तक कि

वह—
(क) भारत का नागरिक न हो;
(ख) पैंतीस वर्ष की आयु पूरी न कर चुका हो; तथा
(ग) राज्य सभा के लिये सदस्य निर्वाचित होने की अर्हता न रखता हो।

(४) कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के अथवा किसी राज्य की सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी से नियंत्रित किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण किये हुए है, उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र न होगा।

व्याख्या.—इस अनुच्छेद के प्रयोजन के लिये कोई व्यक्ति कोई लाभ का पद धारण किये हुये केवल इसी लिये नहीं समझा जायेगा कि वह संघ का राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति अथवा किसी राज्य का राज्यपाल []* * * अथवा या तो संघ का या किसी राज्य का मंत्री है।

उपराष्ट्रपति की
पदाधि

६७. उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा :


  1. "या राजप्रमुख या उपराजप्रमुख" शब्द संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २६ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।