पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१७७

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भारत की एकता का निर्माण कि वह शान्ति चाहते हैं, सुलह चाहते हैं, मुहब्बत चाहते हैं। इन बातों का कोई मतलब नहीं निकलता । मैं एक और चीज़ भी बता देना चाहता हूँ कि हमने अभी तक पाकिस्तान के खिलाफ या उससे लड़ने का कोई काम नहीं किया। चाहे हैदराबाद हो, या काश्मीर, जूनागढ़ हो या और कोई और, किसी भी हालत में कोई बाहर की शक्ति हमारी आन्तरिक व्यवस्था में दखल नहीं दे सकती । चाहे हिन्दुस्तान खत्म हो, या पाकिस्तान खत्म हो, या दुनिया खत्म हो जाए, हम किसी का दखल बर्दाश्त नहीं कर सकते। हमने पाकिस्तान सच्ची नीयत से कबूल किया है और आज तक भी हमारी नीयत साफ है और हम उसका भला ही चाहते हैं। वह अगर खुद अपने हाथों से अपना खड्डा खोदना चाहते हों, तो उसमें वे गिरें, उसमें भी हम अलग रहेंगे । मैं आज भी यही बात कहता हूँ। लोग मुझसे कहते हैं कि हैदरावाद का क्या करोगे। कोई कहता है कि उसके टुकड़े-टुकड़े कर दो और आसपास के तीन प्रान्तों में मिला दो। कोई कहता है कि निजाम को उठा दो। कोई कहता है कि रेस्पांसिबल गवर्नमेंट (उत्तरदायी सरकार ) बना दो । सब अपनी-अपनी राय देते हैं। ठीक बात है। हम सब सुनते हैं और सोचते हैं। लेकिन एक बात पक्की है कि हैदराबाद के लोगों और हैदराबाद की जनता का भला जिस चीज में है, हम वही काम करेंगे। इसका फैसला भी जनता ही करेगी। हम उससे अलग नहीं हो जाएंगे। एक दूसरी बात भी पक्की है कि निज़ाम को रखने के लिए या निजाम की डाइनेस्टी (वंश) रखने के लिए, या निजाम का कोई भी इन्ट्रैस्ट (हित) रखने के लिए यदि कोई बाहर वाला मदद करेगा, तो पहले उसे हमसे लड़ना होगा। इससे हम डरते नहीं हैं। यह हमारा आन्तरिक मामला है, हमारे घर का मामला है। चर्चिल हो या कोई उससे भी बड़ी शक्ति हो, हम उसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमें काश्मीर के मामले में आज भी कहा जाता है, जब वहाँ के मुसलमान चाहते हैं, तो हिन्दुस्तान क्यों बीच में पड़ता है। यदि काश्मीर के मुसलमान आज हमसे कह दें कि हम चले जाएँ, तो हम तुरन्त वहाँ से हट जाएँगे। क्योंकि हम कबूल करते हैं कि काश्मीर में मुसलमान ज्यादा है। पर जब कि काश्मीरी मुसलमान ही हमसे कहते हैं कि उन्हें हिन्दुस्तान में रहना है,