पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२९७

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PLEAP भारत की एकता का निर्माण हैं, उसके पीछे एक चीज़ है कि वे लोग कांग्रेस को बोट में तो हरा नहीं सकते, इसलिए कांग्रेस को हटाने का एक ही तरीका उन्हें समझ आता है कि मुल्क में गड़बड़ कराओ, अशान्ति पैदा करो, और रेल की पटरी उखाड़. दो। इस प्रकार की हड़ताल कराओ कि राज-शासन चले ही नहीं। ह्य कम्यूनिस्टों का काम है । तब हमने सोच लिया कि इन कम्यूनिस्टों के साथ ट्रेड यूनियन में बैठना मुल्क के लिए. बहुत बड़ी खतरनाक चीज है। इसलिए, हमने अलग रहने का फैसला किया। तब हमारे सोशलिस्ट भाई भी हमारे साथ । जब मैं जेल से छूट कर आया, तब मैंने सोशलिस्ट भाइयों से भी कहा कि अब अंग्रेजों के साथ हमें लड़ना नहीं है, वह लोग चले ही जानेवाले हैं, और आप खाली भ्रम में पड़े हैं। वे लोग मुझ से कहाँ लगे कि आप लोग उनकी यह बात कैसे मानते हैं ? यह बात हमारे मानने में तो नहीं कि वे जाने वाले हैं, आप लोग धोखे में पड़े हैं। मैंने बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन उनका दिल नहीं मानता था। आखिर मौका आने पर इन लोगों को कबूल करना पड़ा कि आप ठीक कहते थे। अंग्रेज़ लोग तो अब सचमुच चले। मैंने कहा कि यह तो चले, लेकिन हमारा मुल्क न चला जाए। वह संभालने की बात है, क्योंकि पदि अब हम गिरेंगे तो अपनी कमजोरी से ही गिरेंगे, किसी और की ताकत से हम कभी गिरने वाले नहीं है। मैंने उनको समझाया था कि आप हमारे साथ मिल कर काम करो। चन्द दिनों के लिए वे हमारे साथ आए भी, रहे भी और हमारे संगठन में शरीक भी हुए। तब हम सबने मिल कर दिल्ली में एक फैसला किया कि ट्रेड यूनियन के अगले. वार्षिक अधिवेशन में जाकर हमें उन लोगों को निकालना है जो हमारी राय के अनुसार ठीक काम नहीं कर रहे । हमारे पास मेजोरिटी है, बहुमत है । सो हम वहां गए । पर इसी जल्से में हमारे सोशलिस्ट भाई हम से अलग हो गए और कहने लगे कि हम न तो आपके साथ चलेंगे, न उन के साथ रहेंगे । नतीजा यह हुआ कि मारा काम नहीं हुआ । इसलिए हम चले आए। हमने अपना एक अलग संगठन बना लिया, जिसका यह दूसरा जल्सा है। पहला जल्सा बम्बई में हुआ था। उस संगठन का नाम इण्डियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस ( आई० एन० टी० यू० सी०) है और यह जो संगठन हमने बनाया है, यह राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्नेस है । आज हिन्दोस्तान में जो ट्रेड यूनियन कांग्रेस है, वह थोड़ा बोगस है,