पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१०१

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भारतकै प्राचीन रजर्वश कल्याणकै हैहयवंशी । दक्षिणके प्रतापी पश्चिमी चालुक्म राजा तैलप तीसरे राज्य छीन•कर कुछ समय तक च हॉपर कलचुरियोंने स्वतन्त्र राज्य किया । उस समर्म इन्होंने अपनी किताब 'कलिमपुरबराघइयर' रक्सा यो । इनके लेखनै प्रस्ट होता है कि ये हाल ( चेदी } से उधर गए थे । इस लिए में भी दक्षिण कोशलके कुछयुरियोंकी तरह चैदी के चुरिपकि ही बंशज होंगे। तैलपसे राज्य छीनने के बाद इन राजघान कल्याण नगरमें हुई । यह नगर निजामकै राज्यमें कल्याण नामसे प्रसिद्ध है । इनका झण्डा * सुवर्षावृषध्वज ' नामसे प्रत्तिद्ध था । | इनका ठीक ठीक वृत्तान्त जोमम नामके गानो मिलता है। इससे पूर्व वृत्ताम्समें बड़ी गड़बड़ है; क्योंकि हरिहर (माइसोर ) से मिले हुए विज्ञ समयके छेस्रो शत होता है कि, हाल फलचुरि राजा कृश वैशज्ञ कन्नम ( कृष्ण ) के दो पुत्र थे-विजल और सिंदाज। इनमें बड़ा पुत्र अपने पिताका उत्तराधिकारी हुआ । सिंदके चार पुत्र थे—मुगि, शंवर्मा, कन्नर और जोगम। इनसे मैं और जोगम क्रमशः राजा हुए । | जोगमका पुत्र मद्धे ( परमई } हुआ । इस पेमके पुअर नाम विमल यौ । मलके मेष्ठ पुन्नका नाम बदब ( फोमय } या । इसके श० एन० १०९५ ( वि० सं० १२३० }के लेखमें हिंसा है:| चन्द्रवंशी संतम ५ संतसम ) का पुत्र साररस हु । उसका पुत्र कम हुाा । कममकै, नाग और विजन दो पुत्र हुए । विन्नलका ••पुत्र कर्ण और जसा जगम हुआ। परन्तु सं १०९६ ( गते ) और ११०५ ( गत ) ( वि० सं० १२३१ र ११४० ) है तोमपत्र( १ ) मन्दसौर इन्स्यु रन्स पृ॰ ६।