पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२३०

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पाल-वंश। | है कि आपने भी धर्मपालकी सहायता की है तथा बन्दैछ राशी हुई। 'पटिहार दितिंपाल (महीपाल) और धर्मपाल ये तीन समकान होंगे। यदि यह अनुमान ठीक से तो घर्मपाल विक्रम-संवत् १७४ के आसपास विद्यमान रहा होगा; क्या महीपाल ( क्षिातैपाल ) का एक ले मिला हैं, जिसमें इसे रिवको उच्चस है । यग्र जनरल कनिंगहमिका अनुमान है । सन् ८३६ ईसवीसे ८५० ईसी (विकम-संवत् ८८६-९०५) तक घर्मपालने राज्य किया होगा । तथानि, राजेन्द्रलाल मिंन इस राज्यशासनका काल सन् ८७५ ईसबसे ८९५ ईसवी (विक्रम-सबत् १३२ से १५२ ) तक मानते हैं । कन्जकी पूर्वोक्त घटनासे अहीं पिछला समय ही ठीक समयका निकटयती मालूम होता है। धर्मपार्क का नाम रपणा देवी था। वह राष्ट्रकूट ( रार) राना गरयलकी पुत्री थी । । यद्यपि हाक्टर कीलहाने, परवल स्थानपर श्रीवल्लभ अनुमान करके, जनरल केनिगमके निश्चित पूर्वोक्त समयके आधार पर, वल्लभको दक्षि१ । राठौर, गोविन्द तीसरा, मानते हैं और हर भएडारकर जर्सीको कृष्णराज दुसरा अनुमान करते है, तथापि परयलको अशुद्ध समझने जीर उसके स्थानपर श्रीवल्लभ अद्ध पाठ मानने की कोई आवश्यकता नहीं प्रतीत होती । यह परबल शायद उग्र राठौर वशमें हो जिस वदा राजा नृङ्गफी पुत्री भाग्यदेवीको विवाह अर्मपाल यशज राज्यपाल हुआ था । इस राठोर राजा तुन्ना एक झिल्ला-लेश तुमयामें मिला है। धर्मपाल के राज्पर्क बत्तीस वर्षको एक ताम्रपत्र खालिमपुर में मिला है। उससे प्रकट होती है कि उस समय बिमुवनपाल उसका युवराज और (i) tod Ant, Vol XVT, 174 १३) Ind At, Yal xxI, Hargher Plse 3.A 5, Fol 63, 33, and Ep Iad , Yal, P 247,