पृष्ठ:भारत भारती - श्रि मैथिलिशरण गुप्त.pdf/१४

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भारत-भारत हम कैान थे, क्या हे गये हैं और क्या हैंगे अभा, अाओ, विचार आज मिलकर ये समस्याएँ सभी । यद्यपि हमें इतिहास अपनः प्राप्त पूर' है नहीं, हम कैान थे, इस ज्ञान के, फिर भी अधूरी है नहीं ।। १४ ।। भारत की श्रेष्ठता भू-लङ कई गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला-स्थल कहाँ ? फैली मनेाहर गिरि हिमालय और गङ्गाजल जहाँ । सम्पूर्ण देशों से अधिक किस देश का उत्कर्ष है ? इसका कि जो ऋषिभूमि हैं, वह कैन ? भारतवर्ष हैं ।। १५ ।। हाँ, वृद्ध भारतवर्ष ही संसार का सिरमौर है, ऐसा बुरातने देश केाई विश्व में क्या और है ? भगवान की अव-भूतियों का यह प्रथम भाण्डार है, विधि ने कियो नर-सृष्टि का पहले यह विस्तार है।।१६।। १-( क ) पुरा से सिद्ध हैं कि भारतवर्ष के प्रहावर्त प्रदेश में ही हाइजी ने सुद्धि-रचना का आरम्भ किया था । (ख) टॉ-राजस्थान में एक स्थान पर लिखा है कि आर्यावर्त के अतिरिक्त और किसी देश में सृष्टिं के अारम्भ का हिसाब नहीं पाया जातः । इसके अदिसृष्टि यहीं हुई, इसमें सन्देह नहीं । (६) इंजील और कुरान से भी आदम और हौश्रा की अदन की | वाटिका से निकल कर भारतवर्ष में अना प्रकट है। | (घ ) सर वाल्टर रेले ने अपने जगत् के इतिहास ( History | 3: the World } में लिखा है कि जल-प्रलय के अन्तर भारतवर्य में ही बृक्ष-ऊस आदि की उत्पत्ति और मनुष्यों की बस्ती हुई थी।