पृष्ठ:भारत भारती - श्रि मैथिलिशरण गुप्त.pdf/१४७

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वर्तमान खण्ड १३७ क्या कर नहीं कर्ती भला यदि शिक्षित हों नारियों ? ए-रङ्ग, राज्य, सु-धर्म-वा, न् चुकी सुकुमारियाँ । लक्ष्मी, हल्का, बायजाबाई, भवानी, पसिनी ---- ऐसा अनके देवियाँ हैं आज जा सकती गिनी ॥ २३७ }} चे, नरां में नारियाँ किस बात में हैं कम हुई” १ मध्यस्थ वे इस्त्रार्थ में हैं भारत २ के सम हुई है। हैं धन्य -तुल्य गाथा-कत्रि३ वे सर्वथा, कवि हो चुकी हैं विक४ि, विजया, मधुरवाणी६ वथा ।।२३८}} १-ॐ सब देवियाँ, क्रम से झाँसी, इौर, गालियर, नाठौर (अङ) और बतौर के शनि ६ । इनकी विशेष परिचय देने की अश्यकता | ६अली--में मिले की स्त्री । इसने भगवान शङ्करने में शास्त्र क्या था । ३- ६५ की एक पुस्तक ली भाइमें हैं। येष्ठ कई = नई हजार' अर ी पुरानी है उसमें ७०-८० दौद्ध स्त्रियों की धार्मिक कविता हैं । उस्का अनुवाद् अँगरेज़ी और ॐ गली में भी ६ गया है । --विजकीकोइलयामा बिन को अमानतः । | धृ :द्धिना प्रोकं । सरस्वती । ५-चक्र-सरस्वती का विजथाङ्का जत्थो ।

  • औदर्भ गिर वासः कालिदासानन्तरम् ॥ इमरवण-तताइटिकाद्ध निर्मित शतदलोक फामी ।

वाणी कृतिशीलनैपुण्समुभीलवाः ॐ जुड़ा है। बोइयाछविनोदसमथे धब शुमस्याशतं । सधस्स पूरयति ध दस देन्द्रिं तया ॥