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भारत-भारती


अत्याचार

जो हो, हमारो दुर्दशा का और अन्त नहीं रही,
हा ! क्या कहे; कितना हमार रक्त पानो-सा बहा !
हो कर सनुज, कृमि-कीट से मी तुल्य हम लेखे गये;
दृष्टान्त ऐसे बहुत ही कम विश्व में देखे गये ।।२२६।।

रहते यवन थे रक्त-जित तीक्ष्ण असि ताने खड़े,
चोटी, नहीं तो हाय ! इभको शीश कटवाने पड़े !
जोते हुए दीवार में हम लोग चुनवाये गये,
बल से असंख्यक अ य इसलाम में लाये गये !! ॥२२७॥

हा स्वार्थ-वश हमको अनेकों घोर कष्ट दिये गये,
कितने अवश अबला जनों के धम्को नष्ट किये गये,
घर में सुता के जन्म से होती अड़े को थो व्यथा,
कुल-भान रखने यो चली थी बालिका वध की प्रथा १ ।।२२८।।

हर ! निष्ठरों के हाथ से सुर-भूतियाँ खण्डित हुई,
बहु मन्दिों की वस्तु से मसजि मण्डित हुई।


of Taaja Y;. 17 ) उसमें, इन्होंने दिखलाया है कि यमुनास्तम्भ भी मुसलमान कुछ नहीं हो सकता । विशेषतः यमुनास्तम्भ के भीचे की और हिन्दुओं के पूजन के घाट इत्याहि जो अङ्कित हैं उनमें वह हिन्दु लीग का बनाया हुआ प्रमाणित है। यमुनास्तम्स पहले जितमा ऊँचा था अब उतना ऊँचा नहीं हैं, क्योंकि कुतुबुद्दीन ने उसका शिकार तोड़ कर मुसलमानी ढङ्क से बनवाया और उसे अपने नाम से प्रसिद्ध * } ( पनि