पृष्ठ:भारत भारती - श्रि मैथिलिशरण गुप्त.pdf/९२

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भारत-भारतो गायक मदन शिशु जो कहीं होता पुरातन काल में, होते ही ये भीमकम रामभूति न हाल में, लेते न सम्प्रति जन्म जों के आधुनिक अर्जुन कई, इनकी कथा भी कल्पना की दौड़ कहलाती नई ॥ २५० ।। १--( क ) अलौकिकृ शिशु-यक मास्टर मदन, एमस्टे स्टूद कलकत्ता निवासी बाळू वसन्तकुमार चटर्जी का पुत्र है। इस बालक कई पूरा नाम है मदनमोहन वटज । यह बालक २ वर्ष ९ महीने की अवस्था से नाता है। तीन वर्ष दो महीने की अवस्था में सर्वसाधारण के समक्ष मदन का पहला गाना हुआ। ताल-स्वर-संयुके गाने सुन कर सुनने वाले मुग्ध होगये। तब से बड़े बड़े जलसों में गाने के लिए मदन बुलाया जाता है । बड़े बड़े गगैयों ने मदन के गाने की प्रशंसा की है। गाने के उपलक्ष में मदन को कई तमगै मिले हैं, जिनमें $ चाँदी की और १५ सोने के हैं। इस समय मास्टर मदन की अवस्था कोई सात वर्ष की है । सीत-विद्याविशारदों की ये है कि इस दुरूप वर्ष अभ्यास करने वाले गौयों में जो बात नहीं पैदा हो सकती, वह बात मास्टर मदन में है। । (ख) जगल्ति भीम प्रोफेसर राममूति नाथ को कौन नहीं जनता ? आप मद्रास हाते के बिज्ञापन ज़िले के ३हुनेवाले हैं। आप चालीस नालीस भन के पत्थर छाती पर रख कर तुड़वा देते हैं । अदमियों से भरी हुई गाड़ियाँ छाती दर से निकलवा देते हैं और वदन में कहीं निशान तक नहीं होता है लोहे की मोदी मोटी जंजीरे अप हाथ से तो तो हर डालते हैं, गरदन में लपेट कर भी तोड़ देते हैं । गरदन तानते ही में जोर कड़कड़ा कर अलग हो जाती है। अप अपनी छाती पर हाथी भी खड़ा कर लेते हैं । सोळ' सोल: बड़ों की ताकत वाली मोटर रोकते हैं। कभी कभी आप दो दो मोटरें रोक लेते हैं । अापको पचासों पदक मिले हैं । एक पदक स्वयं महाराज पञ्चम जर्ज ने, जो इस साल युवराज | की हैसियत से भारत में पधारे थे, दिया था । आप अपने अदभुत शारीरिक अल कै कारण कलियुगी भीम कहलाते हैं ।