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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/११९

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भारत में अंगरेज़ी राज

१३R भारत में अंगरेजी राज पेश किया गया। काफ़ी भेद खोले गए। वेल्सली के विरुद्ध और नवाब के पक्ष में जोरदार भाषण हुए। एक मेम्बर ने टीपू और मोहम्मवाली की साजिश की ओर संकेत करते हुए कहा कि- "सहज विश्वासी भोली जनता को धोखा देने का इससे अधिक बीमत्ल प्रयत्न मैंने कभी नहीं सुना।" फिर भी अन्त में इस खुली राजनैतिक डकैती के लिए वेल्सली की सराहना का एक प्रस्ताव पास हुआ। विण्दैम नामक एक मेम्बर ने उस अवसर पर बिल्कुल सच कहा- भारत में xxx भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की कम्पनी की नीति - नीति को देख कर मुझे एक गीत की अन्तिम पंक्ति याद या जाती है, जो डॉक्टर स्विस्ट ने एक डाकू के लिए लिखा था । उस पंक्ति का अर्थ यह है-'जिस मनुष्य का जी चाहे वह अपने पास वाले को लूट सकता है।' x x x हमारे सामने मार्ग प्रदर्शन के लिए साफ असूज यह है कि भारतवासियों के कोई हक नहीं, हमारे कोई फर्ज नहीं, हम सब उनके बादशाह है और जो हम फैसला कर दें सो ठीक।" • the policy of the East In tha Company in India reminded um of the last line of a song written by Dr Swift for a high-wny m every man round may rob if he pleases the principle by which we were to begunded was that the natives of India had no nght that we had np duties and that all was to depend upon the decision of ou Mayestues - Mr Windham before the Bntush Parliament