पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१५

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( ११ ) तैंतीसवाँ अध्याय लार्ड एमहर्ट बरमा युद्ध का सूत्रपात - बरमा के इलाके में लूट मार-वरमा को पराधीन करने की तजवीजें-कसान यू की गिरफ्तारी परमी जाति- भासाम पर बरमी शासन-पहले बरमा युद्ध का प्रारम्भ-रंगून में अंगरेजों के साथ असहयोग-अंगरेज़ी सेना की दुर्गति-कलकत्ते में तहलका- महाबन्दूला की रंगून वापसी-हिन्दुस्तानी सिपाहियों के साथ अंगरेज़ों का अनुचित व्यवहार-बैरकपुर का हत्याकाण्ड-बरमा में कम्पनी की साजिशें- महाबन्दूला की मृत्यु-सुलह के लिए अंगरेजों की उत्कण्ठा-रिशवतों से भरतपुर की विजय-बरमा के साथ सन्धि-दिल्ली सम्राट का अपमान । पृष्ठ १०४०-१०७४ चौंतीसवाँ अध्याय लार्ड विलियम बेण्टिक कम्पनी की शासन नीति-- कुर्ग के साथ पहली सन्धि-युद्ध का बहाना--कुर्ग के राजा की असमञ्जसता-कुर्ग की स्वाधीनता का अन्त- लूट का बटवारा-कछाड़ की रियासत का अन्त-मैसूर राज में हस्तक्षेप- जयपुर और जोधपुर-दिल्ली सम्राट-ग्वालियर-झाँसी-इन्दौर-सिन्ध और पाव-सिन्धु नदी की सरवे रणजीतसिंह और बेण्टिक की मुलाकात-बेण्टिक के शासन का सार-पुराने घरानों का नाश । पृष्ठ १०७५-११०२