पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२१६

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दूसरे मराठा युद्ध का प्रारम्भ

दूसरे मराठा युद्ध का प्रारम्भ करने की फिराक में थे। ३१ जुलाई सन् १८०३ को जनरल वेल्सली ने करनल कॉलिन्स को लिखा कि-'चूंकि सींधिया और जसवन्त राव होलकर के बीच अभी तक कोई सन्धि नहीं होने पाई, इसलिए यही मौका है कि हमें जल्द से जल्द युद्ध शुरू कर देना चाहिए।' ___ अगले दिन पहली अगस्त सन् १८०३ को सींधिया और भोसले दोनों ने जनरल वेल्सली के नाम एक अत्यन्त मित्रता सूचक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने वेल्सली से फिर प्रार्थना की कि बाजीराव के पास तक हमारे दूतों के पहुँचने और लौटने का इन्तज़ार किया जाय और धैर्य और शान्ति से मामले का फैसला कर लिया जाय । किन्तु अंगरेज़ों की तैयारी पूरी हो चुकी थी। पहली अगस्त सन् १८०३ को बिना महाराजा से पूछे या बिना युद्ध का एलान दरबार को बाकायदा सूचना दिए करमल कॉलिन्स सींधिया के दरबार से चल दिया और ६ अगस्त सन् १८०३ को जनरल वेल्सली ने कम्पनी की ओर से मराठों के साथ युद्ध का बाज़ाब्ता एलान कर दिया। मार्किस वेल्सली के तमाम सरकारी और गैर सरकारी पत्रों की पूरी छानबीन करने से मालूम होता है कि अन्त लोस्टर का पत्र समय तक लींधिया और भोसले दोनों इस बात के लिए उत्सुक थे कि शान्ति से सब बातों का निबटारा हो जाय । मार्किल वेल्सली के पत्रों में दौलतराव के इरादे में सन्देह उत्पन्न करने वाला केवल एक पत्र मिलता है, जो २६ जुलाई सन् १८०३ को मुरादाबाद के कलेक्टर लीस्टर ने वेल्सली को लिखा।