पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
६५३
साम्राज्य विस्तार

साम्राज्य विस्तार चौथी इन सब से बड़ी सेना उत्तर में जमरल लेक के अधीन, जिसमें अवध की सबसीडीयरी सेना शामिल थी। पांचवीं सेना राजा राघोजी भोसले के कटक प्रान्त की सरहद पर गजम नामक स्थान में करनल कैम्पबेल के अधीन, जिसमें बङ्गाल की सेना शामिल थी। और छठवीं सेना गुजरात में कनरल मरे के अधीन, जिसमें गायक- वाड़ की सबसीडीयरी सेना शामिल थी। इनमें से केवल गजम की सेना को छोड़कर शेष पाँचों सेनाएँ महाराजा सींधिया के विशाल राज की सरहद पर इधर से उधर तक फैली हुई थीं। इसके अतिरिक्त इन विशाल सेनाओं के सम्बन्ध में दो बाते और ध्यान में रखने योग्य हैं। एक यह कि अफसरों को छोड़ कर शेष सेनाओं भर में बहुत थोड़ा भाग विदेशी सिपाहियों का और अधिकांश भाग भारतीय सिपाहियों का था। दूसरे यह कि लगभग यह समस्त विशाल सैन्य दल विविध भारतीय नरेशों की नौकरी में था और इन भारतीय नरेशों ही के खज़ानों से उसका सारा खर्च दिया जाता था। पूना और औरङ्गाबाद के बीच में अहमदनगर में सींधिया का एक अत्यन्त मज़बूत किला था। यह किला चाँदी की गोलियों इतना मज़बूत था और इस डङ्ग से बना हुआ से अहमदनगर था कि मानों वह अनन्त समय तक मुहासरा विजय बरदाश्त कर सकता था। अंगरेज़ जानते थे कि अहमदनगर और वहाँ के किले पर कब्ज़ा कर लेने का प्रभाव सींधिया की दक्षिणी प्रजा पर बहुत ज़बरदस्त पड़ेगा। छै अगस्त