पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२८४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
६९३
साम्राज्य विस्तार

साम्राज्य विस्तार इस सेना ने जमना पार कर बुन्देलखण्ड में प्रवेश किया। राजा शमशेर बहादुर अपनी सेना लेकर मुकाबले के लिए बढ़ा। लिखा है कि १६ सितम्बर को गोसाई हिम्मत बहादुर अपनी विशाल सेना सहित अपने स्वामी से विश्वासघात कर अंगरेज़ों से श्रा मिला। १३ अक्तूबर को केन नदी के पास अंगरेज़ों और हिम्मत बहादुर की संयुक्त सेनाओं का राजा शमशेर बहादुर की सेना के साथ एक संग्राम हुआ । अन्त में हार खाकर शमशेर बहादुर को बेतवा पार कर अपना राज छोड़ भाग जाना पड़ा। १६ दिसम्बर सन् १८०३ को बसई की सन्धि में आवश्यक परिवर्तन करके उस पार पेशवा बाजीराव के दस्तखत करा लिए गए । इन शर्तों के अनुसार बुन्देलखण्ड का प्रान्त बाज़ान्ता अंगरेज कम्पनी के शासन में आ गया। अलीगढ़, देहलो,, श्रागरा और इनके पास पास के इलाके पर उन दिनों मुगल सम्राट का प्राधिपत्य केवल नाम मात्र रह गया था। इस इलाके का क्रियात्मक शासन सींधिया कुल के हाथों में था, और वहाँ की रक्षा के लिए माधोजी सींधिया ने दी बॉइन नामक एक फ्रान्सीसी नियुक्त कर दिया था। दी बॉइन के बाद एक दुसरा फ्रान्सीसी कप्तान पैरों सींधिया के इस इलाके की सेनाओं का सेनापति नियुक्त हुश्रा । यह एक अत्यन्त मनोरञ्जक बात है कि सींधिया पर एक खास दोष यह मढ़ा जाता था कि उसने अपने यहाँ कप्तान पैरों के अधीन एक फ्रान्सीसी सेना नियुक्त कर रक्खी थी, इन दोनों कोयल पर फमा