पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३०

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भारत में अंगरेज़ी राज

४५० भारत में अंगरेजी राज परिस्थिति में पापके मित्रता सूचक पत्र में युद्ध का बोसxxx पर कर मुझे बना हो आश्चर्य हुआ।" वेल्सली की धमकी के जवाब में टीपू ने लिखा :- "यह समझा गया है कि खुदा के जल से सुबह के वक्त चारों सरकारों के बीच कसमें खाकर जो प्रतिज्ञाएँ की गई है, वे इतनी पकी और सर्वस्वीकृत है कि हमेशा कायम रहेंगोxxx मैं नहीं समझ सकता कि दोस्ती और मेख की बुनियादों को स्थाई बनाने के लिए, सलतनतों को सुरक्षित रखने के लिए और सब के लाभ और मरने के लिए इससे ज्यादा कारगर और कौन से उपाय किए जा सकते हैं।"* ३१ दिसम्बर सन् १७६८ को वेल्सली को टीपू का यह पत्र मिला। जनवरी सन् १७६९ को वेल्सली ने टीपू को एक और लम्बा पत्र लिखा, जिसमें उसने टीपू को साफ़ लिख दिया कि श्राप अपने समुद्र के किनारे के सब नगर और बन्दरगाह अंगरेजों के हवाले करदें । पत्र मिलने के २४ घण्टे के अन्दर टीपू से जवाब मांगा गया । वास्तव में यह पत्र टीपू को केवल युद्ध की सूचना थी। ____टीपू अब अच्छी तरह समझ गया कि जिन विदेशियों को हैदर ने पूरी तरह परास्त करके भी उनके साथ क्या और उदारता का व्यवहार किया, जिन्हें स्वयं टीपू ने एक बार अपनी मुट्ठी में लाकर उनके वादों पर विश्वास करके छोड़ दिया, जिन्होंने अभी छै साल पहले उसके साथ मित्रता की सन्धि की थी, वे अब भी उस पर भूले • Wellesla . Dispatches vol 1 p 382 383