पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३२१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
७३०
भारत में अंगरेज़ी राज

७३० भारत में अंगरेज़ी राज कम्पनी के अधीन कर लिया। इस पर १३ अप्रैल को जनरल वेल्सली ने मैलकम को लिखा :- "मुझे इस सारे मामले मे हद से ज्यादा घृणा हो गई है; xxx उस समय सन्धि से सब खुश थे, अब मालूम होता है सब पर लालच का भूत सवार हो गया है x x x"® जनरल वेल्सली के विरोध का केवल एक कारण था । उसे ____डर था कि ऐसा करने से श्राइन्दा किसी भी के दरबार भारतीय नरेश और विशेषकर सींधिया को कभी में रिशवतें ' भी अंगरेजो के वादों पर विश्वास न होगा। जनरल वेल्सली को अपनी आइन्दा की कठिनाई का ख़याल था; किन्तु मार्किस वेल्सली इस बात के सहारे फूल रहा था कि उसने सीधिया के दरबार और सेना के अनेक लोगों को रिशवतें दे देकर अपनी ओर मिला रक्खा था । स्वयं जनरल वेल्सली ने २६ फ़रवरी सन् १८०४ को गवरनर जनरल को सूचना दी:- "xxxसींधिया के दरबार के ऊपर हमारा काबू इतना अधिक हो गया है कि यदि कभी सोंधिया कम्पनी के साथ लडाई करेगा, तो उसके प्राधे सरदार और उसकी प्राधी सेना हमारी ओर आ जायगी।" ."] am disgusted beyond measure with the whole concern, All parlues were delighted with the peace, but the demon of ainbition appears now to have pervaded all, "-~-General Wellesley to Major Malcolm, 13th April, 1804 +" we have got such a hold in Is Durbar, that if ever he goes to war with the Company, one half of his chefs and of his army will be on our side "-General Wellesley to Major Shawe (Private Secretary to the Governor General), dated 26th February, 1804