सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३२४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
७३३
जसवन्तराव होलकर

जसवन्तराव होलकर ७३३ सींधिया को दे दिए जायेंगे, बशर्ते कि सींधिया असवन्तराव होलकर को परास्त करने में मदद दे।"* __इतिहास लेखक मिल ने बड़ी सुन्दरता के साथ दिखलाया है कि मार्किस वेल्सली का यह एलान केवल एक छल था, जिसका उद्देश यह था कि जसवन्तराव के विरुद्ध सोंधिया अंगरेजों को मदद दे । कुछ ही दिन पहले माविस वेल्सली ने अपने इस नए युद्ध का उद्देश “काशीराव होलकर का पैतृक राज राज्यापहारी जसवन्तराव होलकर से वापस लेकर काशीराव को दिलवा देना" बतलाया था; किन्तु अब इस नए बटवारे में काशीराव का कहीं नाम भी नहीं लिया गया। खुशी से अथवा लाचारी से या लोभ में श्राकर अंगरेज़ों के कहने पर सींधिया ने अपनी सेना जसवन्तराव जसवन्तराव के होलकर के मालवा प्रदेश पर हमला करने के साथ युद्ध का लिए भेज दी। बापूराव सींधिया और जीन प्रारम्भ बैप्टिस्टे फ़िलौस इस सेना के सेनापति थे। फ़िलौसे की सेना ने होलकर के आष्टा, सिहोरे, भिलसा इत्यादि

  • " . it is not his intention, in thr event of the reduction of

Holkar's power, to take any share of the possessions of the Holkar family for the company Chandore, and its dependencies and vicinity, will pro- bably be given to the Peshwa , and the other possessions of Holkar situated to the south-ward of the Godawari, to the Subhedar of the Deccan , all the remainder of the possessions of Holkar will accrue to Scindhia. provoided he shall exert himself in the reduction of Jaswant Rao Holkar."-Governor General's instructions to the British Resident with Scendhia, dated 16th April, 1804, (Mill, vol vi, chapter xuu)