७४६ भारत में अंगरेजी राज आकर उन असहाय स्त्रियों और बच्चों को क़त्ल कर डाला। उनके पति और सेना के अफसर दूसरे किनारे से खड़े उनकी पुकार सुनते रहे और सब देखते रहे, किन्तु कुछ न कर सके। निस्सन्देह यदि जसवन्तराव अपनी मुख्य सेना सहित इस स्थान पर पहुँच जाता तो चम्बेली नदी के ऊपर ही मॉनसन और उसकी सेना को निर्मूल कर सकता था। किन्तु सम्भवतः लगातार वर्षा के कारण वह समय पर न पहुँच पाया; और २६ जुलाई को मॉनसन अपनी रही सही थकी हुई सेना और कुछ सामान लेकर रामपुरा पहुँच गया। जनरल लेक के २१ जुलाई के एक पत्र में लिखा है कि जसवन्तराव की सेना और मॉनसन की सेना की संख्या में अधिक अन्तर न था। उसी पत्र में यह भी लिखा है कि जनरल लेक अभी तक बराबर जसवन्तराव के आदमियों को अपनी ओर मिलाने के प्रयत्नों में लगा हुआ था। गवरनर जनरल और जनरल लेक दोनों मॉनसन की इस अपमान जनक पराजय का हाल सुन कर बेहद घबरा गए। २८ जुलाई को गवरनर जनरल ने जनरल लेक के नाम “एक अत्यन्त गूढ़ और गुप्त" पत्र में लिखा- मॉनसन की "अभी (साढ़े चार बजे शाम को) आपका पराजय पर गवरनर जनरल २० जुलाई का एक पत्र कप्तान पार्मस्टाङ्ग के नाम मिला, उससे मालूम होता है कि करनल मॉनसन
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