पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३४३

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७५२
भारत में अंगरेज़ी राज

७५२ भारत में अंगरेजी राज थे। गवरनर जनरल और जनरल लेक दोनों इसके बाद अपने पत्रों में जसवन्तराव का नाम लिखने के स्थान पर उसे “लुटेरा" ( The Plunderer ),“राक्षस" ( The Monster ),“हत्यारा" (The Murderer ) इत्यादि सुन्दर शब्दों में बयान करने लगे। जनरल वेल्सली को जब कलकत्ते में इस दुर्घटना का समाचार मिला तो उसने एक पत्र में लिखा-“मैं इस घटना के राजनैतिक परिणामों को सोच कर काँप उठता हूँ।"* ११ सितम्बर सन् १८०४ को मार्किस वेल्सली ने जनरल लेक को लिखा- "हमें अब पिछला रोना रोने के बजाय, धागे के इलाज की कुछ कोशिश करनी चाहिए, और आपके होते हुए मुझे सफलता मे कोई सन्देह नहीं । किन्तु मुख्य बात समय है । जितनी देर तक कि इस लुटेरे को जीवित रहने दिया जायगा, हर घण्टे मे कुछ न कुछ नई आपत्ति हम पर अवश्य पाएगी; यदि हम होलकर को मुख्य सेना पर नौरन हमला करके निश्चित सफलता प्राप्त नहीं कर सकते, तो हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए कि सारे भारतीय नरेश हमारा साथ छोड़ देंगे और स्वयं हमारे इलाके के अन्दर उपद्रव खड़े हो जायेंगे x x x मैं आप से बिलकुल सहमत हूँ कि हमारा सबसे पहला काम यह होना चाहिए कि हम मैदान में होलकर की पैदल सेना को परास्त कर उसकी तोपें छीन लें x x x यदि हमने होलकर को हरा दिया तो फ़ौरन तमाम आपत्ति और भय जाता रहेगा।xxx •"I tremble at the political consequences of that event "-General Wellesley referring to the retreat of General Monson