पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३८३

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भरतपुर का माहासरा

भरतपुर का मोहासरा सींधिया के बीच जो सन्धि हुई थी उस पर सींधिया की ओर से मुन्शी कमलनयन के हस्ताक्षर हुए थे । जेम्स मिल के इतिहास से स्पष्ट पता चलता है कि मुन्शी कमलनयन अंगरेज़ों का धनक्रीत और उनका पक्का हितसाधक* था। जीन बेप्टिस्ट ने सींधिया के साथ विश्वासघात करके उस सवार सेना को समय पर भरतपुर पहुँचने से रोके रक्खा, जिस दौलतराव सींधिया ने आगे विश्वासघात ' रवाना कर दिया था। बाद में जब भरतपुर के मोहासरे के बाद जसवन्तराव होलकर और दौलतराव सींधिया की भेंट हुई, तब दौलतराव को जीन बेप्टिस्टे के इस विश्वासघात का पता चला । इस पर दौलतराव ने जीन बेप्टिस्टे को कैद कर लिया; किन्तु उस समय तक जीन बेप्टिस्टे का विश्वासघात अपना काम कर चुका था। अंगरेजों को जब पता लगा कि स्वयं दौलतराव सींधिया भरतपुर की ओर बढ़ा चला आ रहा है और चम्बल नदी के निकट श्रा पहुँचा है, तो उन्होंने तुरन्त मुन्शी कमलनयन की मारफ़त सींधिया को यह लोभ दिया कि यदि आप पीछे लौट कर होलकर के मालवा के कुछ जिलों पर कब्ज़ा कर ले तो वे सब जिले और बहुत सा नकद धन कम्पनी की ओर से श्रापकी भेंट कर दिया जायगा। दौलतराव सींधिया ने होलकर के उन जिलों पर हमला • Mil's History of British India, book vi chap xu