सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
८०३
दूसरे मराठा युद्ध का अन्त

दूसरे मराठा युद्ध का अन्त 2०३ जा सके।" किन्तु आए दिन के युद्धों के कारण = साल तक यह मुफ्त का माल इंगलिस्तान न पहुँच सका। होलकर और भरतपुर के विरुद्ध संग्रामों में भी मार्किस वेल्सली को लगातार ज़िल्लत उठानी पड़ी थी। स्वभावतः इंगलिस्तान के लोग मार्किस वेल्सली से इस समय काफ़ी असन्तुष्ट थे । कम्पनी के जिन हिस्सेदारों की वार्षिक आमदनी में कमी पड़ गई थी, उन्होंने भी शोर मचाना शुरू किया । इंगलिस्तान के सब लोग उस समय, जिस तरह भी हो सके, युद्ध बन्द कर देने के लिए उत्सुक थे । अन्त में मार्किस वेल्सली की जगह लॉर्ड कॉर्नवालिस को दूसरी बार भारत का गवरनर जनरल नियुक्त करकं भेजा गया । १८ जुलाई सन् १८०५ को कॉर्न- वालिस मद्रास पहुँचा, २६ को कलकत्ते पहुँचा, और ३० जुलाई सन् १८०५ को उसने दूसरी बार गवरनर जनरल का पद ग्रहण किया। शुरू अगस्त में मार्किस वेल्सली अपने देश वापस चला गया। अपने समस्त शासन काल में उसने एक भी कार्य ऐसा नहीं किया जिसके लिए कोई भारतवासी उसे प्रेम या कृतज्ञता के साथ याद कर सके। भारतीय नरेशो या भारतीय प्रजा के साथ लॉर्ड कॉर्नवालिस को माक्विस वेल्सली की अपेक्षा अधिक प्रेम न फिर लॉर्ड ___ था, और न दोनों की साम्राज्य पिपासा में ही कॉर्नवालिस कोई अन्तर था। इसी दूसरे मराठा युद्ध के शुरू

  • "If India affords a surplus revenue which can be sent to England,

thus far as India beneficial to England "-Mill, vol vi, p 471