पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४०९

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दूसरे मराठा युद्ध का अन्त

दूसरे मराठा युद्ध का अन्त ०१३ विरुद्ध किसी तरह की मदद न दें। अफगानिस्तान के अन्दर भी कम्पनी के एजण्ट सर जॉन मैलकम की कोशिशों से उस समय भाई भाई में लड़ाइयाँ हो रही थीं। फिर भी यदि रणजीतसिंह निर्वासित जसवन्तराव का साथ देने का साहस कर बैठता तो बहुत सम्भव है कि अंगरेज़ों का सितारा ब्यास के जल में सदा के लिए निमग्न हो जाता। किन्तु रणजीतसिंह ने बजाय जसवन्तराव का साथ देने के उसे अंगरेज़ों के कहने के अनुसार यह सलाह दी कि श्राप अंगरेजों के साथ सुलह कर लें। पञ्जाब में अभी तक यह किंवदन्ती प्रसिद्ध है कि इस अवसर पर जसवन्तराव ने महाराजा रणजीतसिंह को लाञ्छना देते हुए कहा कि यदि अपने एक विपत्तिग्रस्त अतिथि और देशवासी की ओर श्रापका यही धर्मपालन है, तो स्मरण रहे मेरे कुल में राज कायम रह जायगा, किन्तु आपके कुल की सत्ता का शीघ्र अन्त हो जायगा। यदि यह किंवदन्तो सच है तो जसवन्तराव होलकर को भविष्यद्वाणो सच्ची साबित हुई। अन्त में एक विपक्षी राज से होकर आगे बढ़ना असम्भव . देख, मजबूर होकर जसवन्तराव को सन्धि जसवन्तराव से स्वीकार करनी पडी। २४ दिसम्बर सन् १८०५ को लॉर्ड कॉर्नवालिस की निश्चित की हुई शर्ती पर अंगरेजों और जसवन्तराव होलकर के बीच सन्धि हो गई। ताप्ती और गोदावरी के दक्खिन का वह सारा इलाका जिस पर अंगरेजों ने हाल में कब्ज़ा कर लिया था, जसवन्तराव होलकर को सन्धि