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भारत में अंगरेज़ी राज

६१२ भारत में अंगरेज़ी राज पाँचवाँ उपाय भारतीय कारीगरी के रहस्यों का पता लगाना था । इन रहस्यों और भारतवासियों की भारतीय कारीगरी आवश्यकताओं का पता लेने के लिए अनेक के रहस्यों का प्रदर्शनियाँ की गई । लन्दन में भारतवासियों के पता लगाना खर्च पर एक विशाल अजायबघर बनाया गया, जिसमें अगरेज कारीगरों की जानकारी के लिए भारतीय कारीगरी के नमूने इत्यादि जमा किए गए। इससे भी बढ़ कर भारत के बने हुए कपड़ों के सात सौ भिन्न भिन्न नमूने अठारह बड़ी बड़ी जिल्दो में जमा किए गए । इस संग्राह की बीस प्रतियाँ तैयार कराई गई। इनमें अठारह अठारह विशाल जिल्दों की तेरह प्रतियाँ इंगलिस्तान के कारीगरों की जानकारी के लिए उस देश के विविध प्रौद्योगिक केन्द्रों में रक्खी गई, और शेष सात प्रतियाँ भारत में आने जाने वाले अंगरेज़ व्यापारियों के लिए भारतवर्ष के सात मुख्य मुख्य केन्द्रों में रक्खी गई । वास्तव में ये बीस प्रतियाँ बीस श्रौद्योगिक अजायबघर हैं। यह विशाल कार्य इंगलिस्तान की कारीगरी को बढ़ाने और भारत की कारीगरी को नष्ट करने के लिए किया गया, किन्तु इसके खर्च का एक एक पैसा गरीब हिन्दोस्तानियों की जेब से लिया गया। अक्षरशः जिन पैनी छुरियों से भारतीय कारीगरों के गले काटे गए उन छुरियों को उन्हीं कारीगरों के खर्च पर तैयार किया गया। हिन्दोस्तानी कारीगारी के रहस्यों का पता लगाने के लिए