पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/५७२

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भारत में अंगरेज़ी राज

६७६ भारत में अंगरेजी राज ग्वालियर में अर्थात् अपने राज के सबसे अधिक धन सम्पन्न इलाके के बीचों बीच में था, किन्तु xxx सींधिया की स्थिति में सैनिक दृष्टि से एक और दोष था जिसकी तरफ मालूम होता है कि महाराजा सोंधिया ने कभी ध्यान न दिया था । ग्वालियर से करीब २० मील दक्खिन में छोटी सिन्धु नदो से लेकर चम्बल तक अत्यन्त ढालू पहाड़ियों की एक पंक्ति है, जो धने भारतीय जालों से टकी हुई है। x x x केवल दो रास्ते हैं जिन पर से कि गालियाँ और शायद सवार सेना इन पहाड़ियों को पार कर सकती है । एक छोटी सिन्धु नदी के बराबर से, और दूसरा चम्बल नदी के पास से । मैंने अपनी सेना की बीच की डिवीज़न से एक ऐसी जगह घेर ली कि जिससे छोटी सिन्धु के बराबर के रास्ते से सोंधिया का पा सकना असम्भव हो गया; और दूसरे रास्ते के पीछे मेजर जनरल इनकिन की डिवीज़न को खड़ा कर दिया । इसका नतीजा यह हुआ कि सींधिया के सामने सिवाय इसके और कोई चारा न रहा कि या तो जो सन्धि पत्र मैंने उसके सामने रक्खा उस पर दस्त- खत कर दे और या अपने शानदार तोपखाने की जिसमें सौ से उपर पीतल की तोपें थीं, उसके साथ के सारे सामान को, और अपने सबसे अधिक कीमती इलाकों को हमारे हाथों में छोड़ कर अपने इतने थोड़े से साथियों सहित, जो उसके साथ आ सकें, पगडण्डियों के रास्ते इन पहाड़ियों को पार करके निकल जाय । जो शर्ते मैंने सींधिया के सामने पेश की उनका सार उसका अंगरेज़ कम्पनी की पूर्ण अधीनता स्वीकार कर लंना था; यद्यपि इन शर्तों को इस प्रकार रज दिया गया था जिससे जन साधारण की दृष्टि में सींधिया को जिन्नत अनुभव न हो।" • Lord Hastings' Summary, etc., pp. 97, 100.