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भारत में अंगरेज़ी राज

४ भारत में अंगरेजी राज अंगरेज़ इतिहास लेखक स्वीकार करते हैं कि इस कार्य में और खास कर बड़ोदा राज को कम्पनी के अधीन करने में अंगरेजों को सबसे अधिक सहायता गङ्गाधर शास्त्री से प्राप्त हुई ; और.. उस समय से लेकर अपनी मृत्यु के समय तक गुजरात और दक्खिन में कम्पनी की सत्ता को पक्का करने के कार्य में सब से अधिक महत्वपूर्ण भाग गङ्गाधर शास्त्री ने लिया ।* स्वभावतः पेशवा बाजीराव और पूना और बड़ोदा के अनेक समझदार नीतिज्ञ गङ्गाधर शास्त्री को देशद्रोही समझते थे। बाजीराव ने गङ्गाधर की इस नियुक्ति पर एतराज़ किया, किन्तु एलफिन्सटन ने बिलकुल परवा न की। १६ अक्तूबर मन् १८१३ को गङ्गाधर शास्त्री बड़ोदा में पूना के लिए रवाना हो गया। गङ्गाधर शास्त्री के पूना पहुँचने के समय एक प्रसिद्ध पारसी नीतिज्ञ खुग्शेदजी जमशेदजी मोदी पूना में रहा खुरशेदजी ___ करता था। खुरशेदजी पेशवा बाजीराव और जमशेदजी ___मराठा सत्ता का सच्चा हितचिन्तक था । इससे पहले के रेज़िडेण्ट सर बैंगे क्लोज़ के समय से पेशवा और उसके दरबार के माथ रेज़िडेण्ट का जो कुछ कारबार मोदी की हत्या consulted , treatles had been made with it which had been abrogated when it sulted the Company's consentence, sometimes it had been induced to wage war with the Peshwa as an independent state and then again, on the return of peace, it had been acknowledged as a vassal merely of the Maratha Empire, thus its external policy had been altogether dictated " • History of the Rise, Decline and Present state of the Shastreetamily, published from Bombay 1868, pp 6-8