तीसरा मराठा युद्ध ६६३ दो। यदि त्रयम्बकजी दोषी भी होता तो भी एलफिन्सटन की यह मांग सर्वथा न्यायविरुद्ध थो। बाजीराव ने इनकार कर दिया । एलफिन्सटन अपनी ज़िद पर डटा रहा। यहाँ तक कि उसने पूना के नगर को अंगरेज़ो सेना से घेरने और उसका बाज़ाब्ता मुहासरा करने की धमकी दी। बाजीराव स्वभाव से भीर था। कम्पनी को सबसीडीयरी सेना पूना में मौजूद थी। मजबूर होकर बाजी राव ने अपने प्रिय मन्त्री निरपराध त्रयम्बकजी को अंगरेजों के हवाले कर दिया और अंगरेज़ों ने त्रयम्बकजी को थाने के किले में कैद कर दिया। पेशवा बाजीराव भी इस समय अपनी ज़िल्लत और परवशता को अच्छी तरह अनुभव करने लगा। इसके बाद नैपाल युद्ध के अन्त और तीसरे मराठा युद्ध की विशाल तैयारियों का समय आया। अकारण हमले ७ अप्रैल सन् १८१७ को लॉर्ड हेस्टिंग्स ने की गुप्त तैयारी तपारा सेनापति सर ईवन नेपियन को लिखा कि- "पेशवा और अंगरेजों के बीच युद्ध होने वाला है, और आप पेशवा के गुजरात के हिस्से और कोकण के उत्तरी भाग पर कब्ज़ा जमाने के लिए तैयार रहें।" बाजीराव को जब इन तैयारियों का सुराग मिला, उसने अप्रैल सन् १८१७ में एक दिन एलफिन्सटन को अपने यहाँ बुला कर बहुत देर तक कम्पनी की ओर अपनी सच्चाई और वफ़ादारी बाजीर • Bombay Gasetteer, Baroda vol p 225
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