पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/५९७

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भारत में अंगरेज़ी राज

१००० भारत में अंगरेज़ी राज को सहायता देने के लिए भेजिए । भोले बाजीराव ने पूना लौट कर भैलकम की सलाह के अनुसार अंगरेजों की मदद के लिए सेना जमा करनी शुरू कर दी। एक श्रोर मैलकम ने बाजीराव को संना जमा करने की सलाह दी, दूसरी ओर एलफिन्सटन ने इसी सना के आधार पर गवरनर जनरल को यह लिखना शुरू कर दिया कि बाजीराव अंगरेजों पर हमला करने को तैयारी कर रहा है ! एलफिन्सटन ने गवग्नर जनरल को यह भी लिखा कि बाजीराव के मुकाबले के लिए कम्पनी की और अधिक सेना फ़ौरन् पूना भेजी जाय । यह बात ध्यान देने योग्य है कि एलफ़िन्सटन ने एक बार भी बाजीराव से यह नहीं पूछा कि श्राप यह सेना क्यों जमा कर रहे हैं, और न उसके सेना जमा करने पर कोई एतराज किया। ___३० अक्तूबर सन् १८१७ की शाम को जनरल स्मिथ और करनल बर के अधीन एक पूरी अंगरेज़ी पलटन ने अचानक पूना की छावनी में प्रवेश किया। एलफिन्सटन ने फौरन् शहर से चार मील की दूरी पर एक ऊँची जगह इस मारी सेना को खड़ा कर दिया। मराठे अच्छी तरह समझ गए कि अंगरेज़ लडन पर कटिबद्ध हैं। ५ नवम्बर सन् १८१७ को पूना के निकट खड़की नामक स्थान पर अंगरेजों और पेशवा की सेनाओं के बीच खड़की का संग्राम घमासान यद्ध हुश्रा । बापू गोखले पेशवा की सेना का प्रधान सेनापति था। अनेक अंगरेज़ इतिहास लेखकों ने सेनापति गोखले के युद्ध कौशल और मराठा सेना की वीरता को