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भारत में अंगरेज़ी राज

२००२ भारत में अंगरेजी राज परिणाम यह हुआ कि खड़की के संग्राम में अंगरेजों की विजय रही; और पेशवा बाजीराव को बापू गोखले और कुछ सेना सहित मैदान से हट जाना पड़ा। इसके बाद पेशवा और कम्पनी की सेनाओं में कई और छोटे छोटे संग्राम हुए जिनमें विजय कभी इस ओर और कभी उस ओर रही। इन्हीं में से एक संग्राम में बापू गोखले वीरगति को प्राप्त हुश्रा, जिससे पेशवा बाजीराव का साहस और भी टूट गया। दूसरी ओर एलफिन्सटन जानता था कि महाराष्ट्र देश में . अगरेज इस समय काफी बदनाम हैं । सम्भव सतारा दरवार की था कि मराठे इस प्रकार चुपचाप पेशवाई का ग़लती अन्त न देख सकते और चारों ओर से श्राधाकर बाजीराव के झण्डे के नीचे जमा हो जाते । इस आपत्ति से बचने के लिए एलफ़िन्सटन ने देशद्रोही बालाजी पन्त नातू द्वारा उस समय के सतारा के राजा के साथ साज़िश शुरू की। पालिमेण्ट के काग़ज़ों से पता चलता है कि सतारा के राजा से यह झूठा वादा किया गया कि इस युद्ध के बाद पेरावा के सारे अधिकार और मराठा साम्राज्य की बाग आपके हाथों में दे दी जायगी।* पार्लिमेण्ट के काग़ज़ों से यह भी मालूम होता है कि मतारा के राजा के साथ अंगरेजों की साजिशें कम से कम गंगाधर शास्त्री के समय से जारी थीं। सताग के दरबार में भी ऐसे श्रादमियों की कमी न थी जो धन के बदले में अंगरेजों के इस षड्यन्त्र मे शामिल • The Stor of Satara, by Alajor FD Rasu