राजा अप्पा साहब कि १०१४ भारत में अंगरेजी राज हुश्रा पाया गया। उसके मृत शरीर की दशा से जाहिर था कि रात को उसकी हत्या की गई है । नागपुर भर में यह श्राम अफ़वाह फैल गई कि बाला साहब की हत्या कराने वाला रेजिडेण्ट जेन- किन्स है। किन्तु जेनकिन्स ने इसकी कुछ भी परवा न की, और न गवरनर जनरल को इसकी सूचना तक दी। बाला माहब ( पुरुषाजी ) की मृत्यु के बाद अप्पा साहब नागपुर लौट आया और अप्पा साहब ही अब व नागपुर को गद्दी पर बैठा। भोसले किन्तु अंगरेजों की ओर राजा अप्पा साहब भोसले का रुख अब बदलने लगा। इसके मुख्य कारण दो थे। एक बाला साहब की हत्या और दूसरे सबसीडीयरी सन्धि । अप्पा साहब इस बात को अनुभव करने लगा कि उस सन्धि का बोझ रियासत के ऊपर असह्य है। उसे पता चला कि मेरे दो सन्त्रियों नागू पण्डित और नारायण पण्डित ने अंगरेजों के साथ मिल कर मुझे सबसीडीयरी सन्धि के जाल में फंसवाया है। अप्पा साहब ने इन दोनों मन्त्रियों को बरखास्त कर दिया और उस सन्धि के बदलने के लिए रेज़िडेण्ट जेनकिन्स और गवरनर जनरल हेस्टिंग्स दोनों से प्रार्थनाएँ करनी शुरू की। रेज़िडेण्ट और उसके साथियों ने इसके जवाब में राजा अप्पा साहब को तरह तरह से अपमानित करना शुरू किया। इसी समय मराठा मण्डल के प्राचीन नियम के अनुसार पेशवा बाजीराव ने राजा अप्पा साहब के पास एक खिलअत भेजी।
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