पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६१७

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१०१६
भारत में अंगरेज़ी राज

१०१६ भारत में अंगरेजी राज इस तरह की शिकायतें दूर कर दी जाय और राज की आर्थिक स्थिति को देख कर सबसीडीयरी सेना के खर्च की रकम को कम कर दिया जाय जिम्मसं गजशासन के अन्य कार्य भी चल सके। सितम्बर सन् १८१७ के अन्त में सर जॉन मैलकम इस सम्बन्ध में अप्पा साहब से मिला। अप्पा साहब ने मैलकम का खूब सत्कार किया। मुलाकात के बाद सर जॉन मैलकम ने गवरनर जनरल को लिखा कि अप्पा साहब की हार्दिक इच्छा अंगरेजों के साथ मित्रता कायम रखने की है। किन्तु गवरनर जनरल और रेज़िडेण्ट दोनों का पक्का इरादा भोसले राज को समाप्त कर देने का थो। रेज़िडेण्ट ने २६ नवम्बर सन् १८१७ को गवरनर जनरल को साफ़ लिख दिया कि अप्पा साहब का इस तरह की शिकायतें पेश करना ही अंगरेज़ सरकार के साथ उसकी शत्रुता का अकाट्य प्रमाण है ! २६ नवम्बर से पहले ही जेनकिन्स युद्ध की पूरी तैयारी कर चुका था। प्रोफेसर विलसन रेज़िडेण्ट की इन युद्ध की तैयारी तैयारियों के विषय में लिखता है :- "बरार की सबसीडीयरो सेना का अधिकांश भाग इससे पहले ही युद्ध के मैदान में पहुंच चुका था, और एक सैन्यदल करीब तेरह मील दूर लेफ्टिनेण्ट करनल स्कॉट के अधीन रामटेक मे मौजूद था, जिसे जब चाहे, पुलाया जा सकता था; इस दल में दो पलटन मद्रासी सिपाहियों की, xxx एक पैदल पलटन गारों की और एक पलटन देशी सवार तोपखाने की, और वीन पलटन नम्बर छै बङ्गाल सवारों की शामिल थीं । पलटनें रेज़िडेण्ट की