सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६२४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१०२३
तीसरा मराठा युद्ध

तीसरा मराठा युद्ध १०२३ ( १ ) नर्बदा के उत्तर का अपना सब इलाका और उसके साथ कुछ इलाका नर्बदा के दक्खिन का, और बरार, गाविलगढ़, सरगूजा और जशपुर में जो कुछ आपके अधिकार हैं, वे सब पाप कम्पनी को दे दें। (२) श्रापके बाको राज का शासन-प्रबन्ध जिन मन्त्रियों द्वारा चलाया जाय वे कम्पनी सरकार के विश्वासपात्र हों और रेज़िडेण्ट की सलाह के अनुसार कार्य करें। (३) श्राप और आपका कुटुम्ब नागपुर के महल में कम्पनो की सेना के संरक्षण में रहें। ( ४ ) २४ अप्रैल सन् १८१६ की श्राधी रात को, जो तीस लाख सालाना की रकम सबसीडीयरी मेना के खर्च के लिए नियत की गई थी, उसकी तमाम बकाया अदा की जाय और जब तक ऊपर लिखा इलाका कम्पनी के हवाले न कर दिया जाय तब तक यह रकम बराबर अदा की जाती रहे। (५) भोसले राज के जो जो किले अंगरेज़ चाहें, वे उनके हवाले कर दिए जायें। (६) राज के जिन जिन लोगों को अंगरेज़ कहें वे पकड़ कर अंगरेजों के हवाले कर दिए जायें । और (७) सीताबल्डी की दोनों पहाड़ियाँ, उसके पास का बाज़ार और आस पास को काफ़ी ज़मीन अंगरेजों के हवाले कर दी जाय, ताकि वे जिस तरह श्रावश्यक समझे, उसके ऊपर किलेबन्दी कर लें। राजा अप्पा साहब को अब इसके सिवाय और कोई चारा