पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६५१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१०४८
भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज कमीशन बैठे। कम्पनी सरकार ने अपनी ओर से रॉबर्टसन और चीप दो प्रतिनिधि नियुक्त किए । अराकान के राजा ने, जो बरमा के महाराजा का एक सामन्त था, चार प्रतिनिधि अपनी ओर से नियुक्त करके भेजे। अराकान के प्रतिनिधियों ने एक निहायत उचित तजवीज पेश की कि पंचायत के बैठने से पहले दोनों ओर की सेनाएँ एक बार उस टापू से चली आवें। अंगरेज प्रतिनिधियों ने इस बात को स्वीकार न किया। मजबूर होकर घरमा के प्रतिनिधि बिना कुछ तय किए अपने देश लौट गए। इसके बाद बरमा सरकार ने शाहपुरी टापू पर से अंगरेज़ी जहाज 'सोफिया' के कप्तान ब्यू और उसके कुछ आदमियों को किसी अपराध में गिरफ्तार कर लिया। बरमा दरबार ने अंगरेजों से कहला भेजा कि ये लोग उस समय रिहा किए जायँगे जब अंगरेज़ चट्टग्राम से बरमी इलाके पर धावा मारने वाले मुख्य मुख्य डाकुओं को बरमा सरकार के हवाले कर दें। अंगरेजों ने कोई भ्यान न दिया । मजबूर होकर १३ फ़रवरी सन् १८२४ को बमियों ने च्यू और उसके साथियों को रिहा कर दिया। ___ अंगरेज़ घरमा के साथ युद्ध करने के लिए पूरी तैयारी कर चुके थे। कप्तान च्यू की गिरफ्तारी से उन्हें बहाना मिल गया। किन्तु उस समय के बरमी भारतवासियों की तरह जाति पाँति और मत मतान्तरों में बँटे हुए न थे। उस देश परमी जाति के रहने वाले एक संयुक्त कौम थे। सभ्यता के अनेक अंगों में वे उस समय के यूरोप निवासियों से कहीं बढ़े हुए