पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६७४

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भारत में अंगरेज़ी राज

१०७० भारत में अंगरेज़ी राज नकल में उन्होंने यह दिखलाया कि अंगरेजों ने इतनी बेदर्दी के साथ नगर को लूटा कि लोगों के सरों से बाल सक उखाड लिए।" ___ कमान मण्डी इसी तरह की एक दूसरी घटना का जिक्र करता है, जिससे मालूम होता है कि अंगरेजों ने भरतपुर विजय के बाद वहाँ के निर्धन किसानों तक को बड़ी निर्दयता के साथ लूटा। बरमा युद्ध और भरतपुर के संग्राम का खर्च पूरा करने के __ लिए लॉर्ड ऐमहर्ट ने भारत के विविध नरेशों धन वसूल करने से कर्ज के नाम पर खब धन वसूल किया। का तरीका "" जॉन मैलकम लडलो लिखता है- "देशी नरेशों को खुल्लम खुल्ला लूटने का समय वारन हेस्टिंग्स के साथ ख़रम हो गया था। फिर भी इस समय देखा जाता है कि इन नरेशों से कर्ज लेने की प्रथा बेहद फैली हुई थी। सन् १८२५ के अन्त में अवध के बादशाह ने अंगरेज़ों को दस लाख पाउण्ड कर्ज दिए; और अगले साल, दो साल के लिए, पाँच लाख पाउण्ड फिर कर्ज दिए । सींधिया की मृत्यु के बाद महारानी बैजाबाई ने पाठ लाख पाउण्ड कर्ज़ दिए और श्राम तौर पर जो कर्ज लिए गए उनसे मालूम होता है कि छोटे छोटे नरेशों ने भी अपना हिस्सा अदा किया। नागपुर के राजा न पचास हजार पाउण्ड दिए । बनारस के राजा ने बीस हजार पाउण्ड, यहाँ तक कि अभागे पदच्युत पेशवा बाजी- राव ने भी एक खासी बड़ी रकम बतौर कर्ज अपनी पेनशन से बचा कर अंगरेजों को दे दी। • Tours in Upper Indsa, p 101 + " The time for openly plundering native princes was gone with Warren Hastings One observes, however, at this time, the extreme